डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं – भावना के दोहे – जिंदगी)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 274 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – जिंदगी ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

आँधी से डरता नहीं, नहीं रुके हैं पाँव।

चलते जाना मार्ग में, मगर कहाँ है छाँव।।

*

उजड़ गई है ज़िन्दगी, घर सारा वीरान।

दिल में सबके उठ रहा, हिंसा का तूफ़ान।।

*

बिन मौसम बरसात हो, ओलों की भरमार।

बिगड़ी उपज किसान की, करते सुधी विचार।।

*

सुखमय मौसम में उठा, कैसा झंझावात।

भेंट चढ़ा आतंक की, होता है प्रतिघात।।

*

बात-बात पर क्यों भला, नित्य अकारण क्रोध।

पहले तो तुमने कभी, किया न तनिक विरोध।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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