श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 157 ☆
☆ गीत – ।। जो बोयोगे वैसा ही फिर तुम फल पाओगे ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
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जो बोयोगे वैसा ही फिर तुम पाओगे फल।
याद रखें हर दिन चलता नहीं किसी का छल।।
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जब कर्मों का फल मिले तो तुम्हें दुआ ही मिले।
मत करो जीवन में कुछ ऐसा कि बद्दुआ मिले।।
दिल को बनाओ जैसे कि शीतल निर्मल जल।
जो बोयोगे वैसा ही फिर तुम पाओगे फल।।
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भरोसा देने आशीर्वाद लेने में संकोच नहीं करें।
क्रोध में किसी लिए यूँ ही गलत सोच नहीं करें।।
अच्छा सोचने करने से समस्या भी जाती टल।
जो बोयोगे वैसा ही फिर तुम पाओगे फल।।
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जीवन का गणित तो होता बहुत ही आसान है।
जो सीख गया वही जाकर बनता इंसान है।।
जो करना आज करो कभी आता नहीं है कल।
जो बोयोगे वैसा ही फिर तुम पाओगे फल।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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