श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 95 ☆

☆ मुक्तक ☆ ।।बस तारीख महीना साल नहीं, हाल बदलना है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

बस कैलेंडर ही  नहीं   साल बदलना है।

जीने का कुछअंदाज ख्याल बदलना है।।

नई पीढ़ी सौंपकर जानी विरासत अच्छी।

दुनिया का यह बदहाल हाल बदलना है।।

[2]

हर समस्या का   कुछ   निदान  पाना है।

जन जन जीवन को   आसान बनाना है।।

बदलनी है समाज की सूरत और सीरत।

हर दिल से हर दिल का तार   जुड़ाना है।।

[3]

शत्रु के नापाक इरादों पर   भी काबू पाना है।

उन्हें ध्वस्त करना खुद को मजबूत बनाना है।।

दुनिया को देना है विश्व गुरु भारत का पैगाम।

शांति का संदेश सम्पूर्ण  संसार में फैलाना है।।

[4]

वसुधैव कुटुंबकम् सा यह   संसार बनाना है।

मानवता का सबको     ही प्रण दिलाना है।।

नर नारायण सेवा का भाव जगाना मानव में।

इस धरा को ही स्वर्ग से भी सुंदर बनाना है।।

[5]

जीवन शैली खान पान का   रखना है ध्यान।

आचरण वाणी को भी करना है मधु समान।।

प्रगतिऔर प्रकृति मध्य रखनाअपनत्व भाव।

विविधता में एकता को  बनना है अभियान।।

[6]

माला में हर गिर गया मोती  अब पिरोना है।

अब हर टूटा छूटा   रिश्ता   पाना खोना है।।

आंख मेंआंसू नहींआए किसीका दर्दों गम में।

हर कंटीली राह पर फूलों को   बिछोना है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments