श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 68 – मनोज के दोहे  ☆

फसल खड़ी है खेत में, चिंता करे किसान।

पल-पल आँख निहारती, बैठा हुआ मचान ।।

सोना उगता खेत में, कृषक बने धनवान।

श्रम की सुखद शिला यही, मिले सदा सम्मान।।

कृषक बदलता जा रहा, ट्रैक्टर कृषि संयंत्र।

इन उपकरणों से रचा, जागृति का नवमंत्र।।

कुसुम खिलें जब बाग में, बहती नवल बयार।

मुग्ध हो रहे लोग सब, बाग हुए गुलजार ।।

बसंत ऋतु की पाहुनी, स्वागत करें मनोज।

बाग बगीचे खेत में, दिखता चहुँ दिश ओज।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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