श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में एक भावप्रवण मुक्तक ।।जिंदगी – जियो कुछ अंदाज़ और कुछ नज़र अंदाज़ से।। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 31 ☆

☆ मुक्तक ☆ ।। जिंदगी – जियो कुछ अंदाज़ और कुछ नज़र अंदाज़ से।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆ 

[1]

जिन्दगी   रोज़  थोड़ी  सी  व्यतीत  हो   रही  है।

कुछ    जिन्दगी   रोज़   अतीत    हो   रही   है।।

जिन्दगी   जीते  नहीं  हमें   जैसी  जीनी  चाहिये।

कल  आएगी मौत सुनकर भयभीत हो रही है।।

[2]

कांटों   से  करो  दोस्ती  गमों से भी याराना कर लो।

हँसने   बोलने   को    कुछ  तुम  बहाना   कर  लो।।

मायूसी   मान  लो    रास्ता  इक   जिंदा  मौत  का।

हर बात नहीं दिल पर मिज़ाज़ शायराना करलो।।

[3]

जिंदगी जीनी चाहिये कुछ अंदाज़ कुछ नज़रंदाज़ से।

हवा चल रही उल्टी फिर भी खुशनुमा  मिज़ाज़ से।।

मिलती नहीं खुशी बाजार  से किसी  मोल  भाव में।

बस खुश होकर ही  जियो  तुम हर एक लिहाज से।।

[4]

सुख  से  जीना  तो  उलझनों को तुम सहेली बना  लो।

मत     छोटी   बड़ी  बात  को   तुम   पहेली  बना   लो।।

समझो    जिन्दगी    के   हर   बात  और   जज्बात  को।

नाचेगी इशारों पर तुम्हारे जिंदगी अपनी चेली बना लो।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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