श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# छाया चित्र #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 55 ☆

☆ # छाया चित्र # ☆ 

हमारा एक करीबी रिश्तेदार

जिससे हमको था

स्नेह और प्यार

कोरोना से अचानक चल बसा

उसके परिवार में

एक पेंच फंसा

उसकी पुत्री की शादी

महीने भर बाद तय थी

समस्या विकत  

ऐसे समय थी

लड़के वाले इसी तारीख पर

अड़े हुए थे

शादी करने के लिए

पीछे पड़े हुए थे

आखिर वधुपक्ष ने

समझौता किया

शादी नियत तिथि पर

करने का निर्णय लिया

‘वर’ के शहर में

शादी का मंडप सजा

वधुपक्ष ने दे दी

अपनी रजा

शादी में सिर्फ करीबी

दस रिश्तेदारों को बुलाया

वैवाहिक कार्य

दोनों पक्षों ने

मिलकर संपन्न कराया

 

मै भी आमंत्रित था

माहौल देखकर अचंभित था

किसी को हमारे मित्र के

मृत्यु का शोक नहीं था

हर चीज हो रही थी

किसी को कोई रोक नहीं था

हर कोई सज धज रहा था

‘डी जे’ बज रहा था

सब लोग नाचते नाचते

झूम रहे थे

हाथ में लिए

ड्रिंक के ग्लास को

चूम रहें थे

वर-वधु, बहू-बेटा और पत्नी

नाचते हुए मस्ती में चूर थे

रंजों-गम से कोसों दूर थे

सारा माहौल रंगीन था

ना किसी को गम

ना कोई गमगीन था

मुझे लगा-

सारे रिश्ते

दिखावे की चीज़  है

ना‌ कोई अपना

ना कोई अज़ीज़ है

सांस चलते तक

सब अपने और मित्र हैं

सांस रूकते ही,

सब रिश्ते

दीवार पर

टंगा हुआ

फ्रेम में जड़ा हुआ

एक छायाचित्र है

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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