श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# उम्मीद #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 45 ☆

☆ # उम्मीद # ☆ 

खुश रहना है तो

बिंदास रह

ना किसी से डर

जो भी तेरे मन में आयें

मस्ती से तू कर

 

भ्रमर बनकर

घूम चमन में

फूल फूल को चूम

गंधोसे मदमस्त हो

मदहोशी में झूम

 

राह में मिले

गर कोई दुखिया

उसकी दास्तां सुन

हर ले उसके दुःख दर्द को

बजा खुशी की धुन

 

भूखे को रोटी खिला

प्यासे को पानी पिला

तू नहीं जान पायेगा

तूझे कितना पूण्य मिला

 

राह के कांटे चुनकर

फूल ही फूल बिखेर दें

पत्थरों पे छैनी से

अपना नाम उकेर दें

 

तू तोड़ दे पुरानी जंजीरें

सबको अपने गले लगा

इन बुझी बुझी आंखों में

“श्याम” उम्मीद की

इक ज्योत जगा /

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares
5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments