श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है सुश्री नीना सिंह सोलंकी जी के बाल कहानी संग्रह – “मुनिया की खुशी ” की समीक्षा।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 213 ☆
☆ बाल उपन्यास – मुनिया की खुशी (बाल कहानी संग्रह) – सुश्री नीना सिंह सोलंकी ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’’ ☆
पुस्तक: मुनिया की खुशी (बाल कहानी संग्रह)
कहानीकार: सुश्री नीना सिंह सोलंकी
प्रकाशक: संदर्भ प्रकाशन, भोपाल
संस्करण: प्रथम, 2024
मूल्य: ₹250/-
समीक्षक- श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ 9424079675
☆ समीक्षा- बाल मन का रंगीन खजाना: मुनिया की खुशी – ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆
नीना सिंह सोलंकी की ‘मुनिया की खुशी’ एक ऐसा बाल कहानी संग्रह है, जो बच्चों के कोमल मन को न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों से भी जोड़ता है। संदर्भ प्रकाशन, भोपाल द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक 6 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए डिज़ाइन की गई है। 14 छोटी-छोटी कहानियों का यह संग्रह नैतिकता, पर्यावरण संरक्षण, पारिवारिक रिश्तों, और साहस जैसे विषयों को सरल और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करता है। 2024 में प्रथम संस्करण के रूप में प्रकाशित यह कृति लेखिका के लंबे लेखन अनुभव और बच्चों के प्रति उनकी संवेदनशीलता का सुंदर परिणाम है।
इस संग्रह की प्रत्येक कहानी एक अनूठा संदेश लिए हुए है। उदाहरण के लिए, ‘अच्छे दोस्त’ बच्चों को सच्ची मित्रता का महत्व सिखाती है, जिसमें आपसी विश्वास और सहयोग की भावना को रेखांकित किया गया है। ‘जब चोरी पकड़ी गई’ एक मनोवैज्ञानिक कहानी है, जो बच्चों को ईमानदारी और नैतिकता के पथ पर चलने की प्रेरणा देती है। ‘भूत वाला पेड़’ नन्हे पाठकों में निडरता और तर्कसंगत सोच को प्रोत्साहित करती है, जो अंधविश्वासों को चुनौती देने का साहस प्रदान करती है। ‘माँ का बुखार’ जैसी कहानियाँ पारिवारिक रिश्तों की गर्माहट और माता-पिता के प्रति सम्मान को दर्शाती हैं, जो बच्चों में संवेदनशीलता का विकास करती हैं।
विशेष रूप से ‘सीख सुहानी’ पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कहानी पॉलीथिन के दुष्प्रभाव और वर्षा जल संरक्षण जैसे जटिल विषयों को बच्चों की समझ के अनुरूप सरलता से प्रस्तुत करती है। इसी तरह, ‘नियमित अभ्यास’ मेहनत और लगन के महत्व को रेखांकित करती है, जो बच्चों को पुरानी कहावत “करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान” को चरितार्थ करना सिखाती है। ‘नये साल की पार्टी’ और ‘मैं सांता बनूँगा’ जैसी कहानियाँ उत्सवों और खुशियों के बीच बच्चों में उदारता और दूसरों के लिए कुछ करने की भावना को प्रोत्साहित करती हैं।
लेखिका की लेखन शैली अत्यंत सहज, प्रवाहमयी, और बाल मन को लुभाने वाली है। उनकी कहानियाँ संक्षिप्त होने के बावजूद प्रभावशाली हैं, जो बच्चों को बिना बोर किए नैतिक संदेश देती हैं। प्रत्येक कहानी का कथानक रोचक और बच्चों की कल्पनाशक्ति को उड़ान देने वाला है। पुस्तक में उपयोग किए गए रंगीन चित्रण आकर्षित करता है। वैसे देखे तो कुछ कहानियों में कथानक की गहराई और विस्तार लिए हुए हैं। कुछ में इसकी गुंजाइश बनी हुई हैं। इसके बावजूद पुस्तक पाठकों को अपनी और आकर्षित करने में सफल रही है।
‘मुनिया की खुशी’ न केवल बच्चों के लिए एक मनोरंजक पठन सामग्री है, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन है। यह संग्रह बच्चों को नैतिक मूल्यों, सामाजिक जिम्मेदारी, और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाता है। यह पुस्तक स्कूलों, पुस्तकालयों, और घरों में एक विशेष स्थान पाने की हकदार है। लेखिका की यह कृति बच्चों के साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो नन्हे पाठकों को प्रेरित करने के साथ-साथ उनके मन में सकारात्मक विचारों का बीज बोती है।
नीना सिंह सोलंकी को उनकी इस अप्रतिम कृति के लिए हार्दिक बधाई। यह पुस्तक निश्चित रूप से पाठकों के बीच लोकप्रिय होगी और बच्चों के साहित्य में एक नया आयाम स्थापित करेगी।
रेटिंग: 4.5/5
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© श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
08-02-2024
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