डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव ‘कौस्तुभ’
(आज प्रस्तुत है डॉ कामना कौस्तुभ जी की एक विचारणीय लघुकथा संस्कार। आप इस लघुकथा की प्रस्तुति इस यूट्यूब लिंक पर क्लिक कर भी देख – सुन सकते हैं 👉 लघुकथा – संस्कार …बहुत कुछ है सीखने के लिये…..डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव ‘कौस्तुभ’)
☆ कथा कहानी ☆ लघुकथा – संस्कार ☆ डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव ‘कौस्तुभ’ ☆
“कल तुम मेरे बेटे को नाम से पुकार रहे थे। तुम्हें कोई मैनर्स है कि नहीं। कोई संस्कार है कि नहीं। यही सिखाया है तुम्हारे माँ-बाप ने। जब मैं तुम्हारा बॉस हूँ तो मेरा बेटा भी तुम्हारा बॉस ही हुआ।“ श्याम लाल जी ने अपने ऑफिस के एंप्लॉय केदार को जोर-जोर से डांटते हुए यह कहा|
तभी पापा पापा कहकर 13-14 साल का बच्चा अंदर दाखिल होते हुए अपने माली की तरफ देखते हुए बोला “पापा इस बूढ़े खूसट को निकाल क्यों नहीं देते नौकरी से। मुझे पाल पोस कर बड़ा किया है, तो इसकी इतनी हिम्मत कि यह मुझ पर हुकुम चलाएगा। किसी बात को करने से मना करेगा।“ अब श्याम लाल जी की नजरें केदार के सामने ऐसी झुकी की वे उठाने की हिम्मत ही नहीं कर पाए|
© डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव ‘कौस्तुभ’
मो 9479774486
जबलपुर मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
वाह शानदार संदेश