सुश्री स्वप्ना अमृतकर

“चिमुकल्या चिऊला वाचवुया ” 
(काव्यप्रकार – हायकू)
(सुश्री स्वप्ना अमृतकर जी की World Sparrow Day  – 20th March पर हायकू काव्यप्रकार में रचित विशेष रचना। यह रचना गत वर्ष “Rasika” एवं “Eco” पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है।गौरैया (Sparrow) चिड़िया के संरक्षण के लिए रचित इस रचना के लिए सुश्री स्वप्ना अमृतकर जी का विशेष आभार। )
हिरव्या रानी
     शहर किंवा गाव
           निसर्गहानी . .    १
त्या चिमुकल्या
      शोधाया दाणापाणी
           कुठे हरवल्या?..  २
चिऊ ची टोळी
      होतसे दिसेनाशी
            वेळी अवेळी . .   ३
नदी कोरडी
       चिमण पाखरांची
           तहान वेडी  . .     ४
लेकी प्रमाणे
       चिऊलाही वाचवु
          हो संघर्षाने .. ५

© स्वप्ना अमृतकर (पुणे)

 

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