डॉ जसवीर त्यागी

(ई-अभिव्यक्ति में  प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ जसवीर त्यागी जी का स्वागत। प्रकाशन: साप्ताहिक हिन्दुस्तान, पहल, समकालीन भारतीय साहित्य, नया पथ,आजकल, कादम्बिनी,जनसत्ता,हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा,कृति ओर,वसुधा, इन्द्रप्रस्थ भारती, शुक्रवार, नई दुनिया, नया जमाना, दैनिक ट्रिब्यून आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ व लेख प्रकाशित।  अभी भी दुनिया में- काव्य-संग्रह। कुछ कविताओं का अँग्रेजी, गुजराती,पंजाबी,तेलुगु,मराठी,नेपाली भाषाओं में अनुवाद। सचेतक और डॉ. रामविलास शर्मा (तीन खण्ड)का संकलन-संपादन। रामविलास शर्मा के पत्र- का डॉ विजयमोहन शर्मा जी के साथ संकलन-संपादन। सम्मान: हिन्दी अकादमी दिल्ली के नवोदित लेखक पुरस्कार से सम्मानित।)

☆ कविता ☆ || समय || डॉ जसवीर त्यागी 

पातहीन पेड़

हरा हो उठता है एक दिन

 

सूखी नदी में

चमकने लगता है जल

 

भटके हुए राहगीर को

मिल जाती है मंजिल

 

सुनसान रास्तों पर

बसने लगती है आबादी धीरे-धीरे

 

समय आने पर

बंजर पड़े खेतों में

मुस्कुराने लगते हैं अंकुर

 

अंधेरे घर में

जगमगाता है दीया किसी रोज

 

असंभव और निराशा शब्दों में

छुपे होते हैं संभव और आशा

 

समय एक जैसा रहता नहीं सदा

करवट बदलता है

नींद से जागता है वह भी एक दिन।

©  डॉ जसवीर त्यागी  

सम्प्रति: प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, राजधानी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) राजा गार्डन नयी दिल्ली-110015

संपर्क: WZ-12 A, गाँव बुढेला, विकास पुरी दिल्ली-110018, मोबाइल:9818389571, ईमेल: [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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Jitendra Shukla

पूरी कविता मेरे जीवन से जुड़ी हुई है।
समय एक जैसा रहता नहीं सदा…

Last edited 17 hours ago by Jitendra Shukla