हिन्दी साहित्य – पुस्तक समीक्षा ☆ संवेदना के स्वर – कृतिकार – डॉ. संध्या शुक्ल ‘मृदुल’ ☆ समीक्षक – प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆

प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆ पुस्तक समीक्षा ☆ संवेदना के स्वर - कृतिकार - डॉ. संध्या शुक्ल ‘मृदुल’ ☆ समीक्षक - प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆ कृति  -     संवेदना के स्वर कृतिकार  -  डॉ. संध्या शुक्ल ‘मृदुल’ पृष्ठ संख्या  - 80 मूल्य  -  101 रू. प्रकाशन - पाथेय प्रकाशन, जबलपुर ☆ ‘‘संवेदना के स्वर’*’ लघुकथाओं का बेहतरीन समुच्चय है - प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे  ☆ "संवेदना के स्वर" लघु कथाओं का बेहतरीन समुच्चय है। वर्तमान की सुपरिचित लेखिका, कवयित्री, लघुकथाकार डॉ. संध्या शुक्ल ’मृदुल’ की ताजातरीन कृति लघुकथा संग्रह के रूप में जो पाठकों के हाथ में आयी है, वह है ‘संवेदना के स्वर’। इस उत्कृष्ट लघुकथा संग्रह में समसामयिक चेतना, परिपक्वता, चिंतन, मौलिकता, विशिष्टता, उत्कृष्टता व एक नवीन स्वरूप को लिए हुए उनसठ लघुकथाएं समाहित हैं।  डॉ. संध्या शुक्ल ’मृदुल’ पाथेय प्रकाशन, जबलपुर से प्रकाशित यह लघुकथा संग्रह अस्सी पृष्ठीय है जिसमें वर्तमान के मूर्धन्य साहित्यकारों एवं स्वनामधन्य व्यक्तित्वों ने अपनी भूमिका, आशीर्वचन लिखा है जिनमें डॉ. कृष्णकांत चतुर्वेदी, डॉ. राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’, प्रो. (डॉ.)...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 150 – “हेलो पेरेंट्स (लालन पालन)” – लेखिका – सुश्री मंजू वशिष्ठ ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है सुश्री मंजू वशिष्ठ जी की पुस्तक - “हेलो पेरेंट्स (लालन पालन)” पर चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 150 ☆ ☆ “हेलो पेरेंट्स (लालन पालन)” – लेखिका – सुश्री मंजू वशिष्ठ ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ कृति चर्चा पुस्तक - हेलो पेरेंट्स (लालन पालन) लेखिका - श्री मंजू वशिष्ठ  प्रकाशक - नोशन प्रेस, चेन्नई मूल्य  - २९५ रु, पृष्ठ  - १५० चर्चा ... विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल ☆ माता पिता को छोटी...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 149 – “व्यंग्य के अखाड़े और बाज” – व्यंग्यकार – डा महेंद्र अग्रवाल ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है व्यंग्यकार - डा महेंद्र अग्रवाल जी के व्यंग्य संग्रह - “व्यंग्य के अखाड़े और बाज” पर चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 149 ☆ ☆ “व्यंग्य के अखाड़े और बाज” – व्यंग्यकार - डा महेंद्र अग्रवाल ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ कृति चर्चा व्यंग्य संग्रह - व्यंग्य के अखाड़े और बाज व्यंग्यकार - डा महेंद्र अग्रवाल प्रकाशक - सर्व प्रिय प्रकाशन, नई दिल्ली मूल्य  - १५० रु, पृष्ठ  - १२४ ☆...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 148 –“समीक्षा वार्ता” – संपादक – श्री सत्यकेतु सांकृत ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है श्री सत्यकेतु सांकृतजी द्वारा संपादित त्रैमासिक पत्रिका “समीक्षा वार्ता”  पर चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 148 ☆ ☆ “समीक्षा वार्ता” – संपादक – श्री सत्यकेतु सांकृत ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ कृति चर्चा पत्रिका - समीक्षा वार्ता त्रैमासिक वर्ष २ अंक २ संपादक सत्यकेतु सांकृत संपर्क [email protected] सी ७०१, न्यू कंचनजंगा, सेक्टर २३, द्वारिका, नई दिल्ली ७७ वार्षिक ५००रु ☆ "सोलह पुस्तकों की गंभीर विशद सामयिक समीक्षायें" - विवेक रंजन श्रीवास्तव...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 148 – “लोकतंत्र से टपकता हुआ लोक” – लेखक – श्री अरविंद तिवारी ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है श्री अरविंद तिवारी जी द्वारा रचित व्यंग्य संग्रह “लोकतंत्र से टपकता हुआ लोक” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 148 ☆ ☆ “लोकतंत्र से टपकता हुआ लोक” – लेखक – श्री अरविंद तिवारी ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ लोकतंत्र से टपकता हुआ लोक अरविंद तिवारी इंडिया नेटबुक्स, नोयडा मूल्य २२५ रु पृष्ठ १२८ संस्करण २०२३ ☆ "अरविंद जी भी परसाई की ही टीम के ध्वज वाहक हैं" -...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 147 – “धूप में अलाव सी सुलग रही रेत पर” – लेखक – श्री राजेंद्र नागदेव ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है श्री राजेंद्र नागदेव जी द्वारा रचित काव्य संग्रह “धूप में अलाव सी सुलग रही रेत पर” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 147 ☆ ☆ “धूप में अलाव सी सुलग रही रेत पर” – लेखक – श्री राजेंद्र नागदेव ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ धूप में अलाव सी सुलग रही रेत पर राजेंद्र नागदेव बोधि प्रकाशन, जयपुर मूल्य  १५० रु पृष्ठ १०० राजेंद्र नागदेव एक साथ ही...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 146 – “बहेलिया” – लेखक – श्री प्रभाशंकर उपाध्याय ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है श्री प्रभाशंकर उपाध्याय जी द्वारा रचित उपन्यास  “बहेलिया” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 146 ☆ ☆ “बहेलिया” – लेखक – श्री प्रभाशंकर उपाध्याय ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ उपन्यास - बहेलिया उपन्यासकार - श्री प्रभाशंकर उपाध्याय प्रकाशक - इंक पब्लिकेशन, प्रयागराज पृष्ठ - २१०, मूल्य - २५० रु मुंशी प्रेमचंद की कहानी बैंक का दिवाला पढ़ी थी, मुजतबा हुसैन की कहानी स्विस बैंक में खाता हमारा...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 145 – “कोरोना काल में अचार डालता कवि” – लेखक – श्री रामस्वरूप दीक्षित ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है श्री रामस्वरूप दीक्षित जी द्वारा रचित पुस्तक  “कोरोना काल में अचार डालता कवि” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 145 ☆ ☆ “कोरोना काल में अचार डालता कवि” – लेखक – श्री रामस्वरूप दीक्षित ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ कोरोना काल में अचार डालता कवि रामस्वरूप दीक्षित भारतीय ज्ञानपीठ २०० रु, पृष्ठ १०८ हिन्दी व्यंग्य और कविता में रामस्वरूप दीक्षित जाना पहचाना नाम है। वे टीकमगढ़...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 144 – “मौन” – लेखक – श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है श्री प्रतुल श्रीवास्तव जी द्वारा रचित पुस्तक  “मौन” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 144 ☆ ☆ “मौन” – लेखक - श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ पुस्तक - मौन लेखक - श्री प्रतुल श्रीवास्तव प्रकाशक - पाथेय प्रकाशन जबलपुर संस्करण - २०२३ अजिल्द, पृष्ठ - ९६, मूल्य - १५०रु चर्चा... विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल किताब के बहाने थोडी चर्चा पाथेय प्रकाशन की भी हो...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 143 – “रेकी हीलिंग …” – रेकी ग्रेंड मास्टर संजीव शर्मा और रेकी ग्रेंड मास्टर मंजू वशिष्ठ ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है रेकी ग्रेंड मास्टर संजीव शर्मा और रेकी ग्रेंड मास्टर मंजू वशिष्ठ जी द्वारा रचित पुस्तक  “रेकी हीलिंग ” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 143 ☆ ☆ “रेकी हीलिंग ...” – रेकी ग्रेंड मास्टर संजीव शर्मा और रेकी ग्रेंड मास्टर मंजू वशिष्ठ ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ पुस्तक चर्चा  पुस्तक - रेकी हीलिंग लेखक - रेकी ग्रेंड मास्टर संजीव शर्मा और रेकी...
Read More
image_print