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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 140 ☆ काव्य समीक्षा – आदमी तोता नहीं – डॉ. राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ (आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा डॉ राजकुमार तिवारी ''सुमित्र' जी की कृति “आदमी तोता नहीं” की काव्य समीक्षा।) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 140 ☆  ☆ काव्य समीक्षा - आदमी तोता नहीं - डॉ. राजकुमार तिवारी 'सुमित्र' ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆ ☆ काव्य समीक्षा आदमी तोता नहीं (काव्य संग्रह) डॉ। राजकुमार तिवारी 'सुमित्र' प्रथम संस्करण २०२२ पृष्ठ -७२ मूल्य १५०/- आईएसबीएन ९७८-९३-९२८५०-१२-७ पाथेय प्रकाशन जबलपुर ☆ आदमी तोता नहीं : खोकर भी खोता नहीं - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ☆ * महाकवि नीरज कहते हैं- 'मानव होना भाग्य...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलमा की कलम से # 66 ☆ पुस्तक चर्चा – “भज-नात” (सर्वधर्मिक) – आत्मकथ्य – “भावाभिव्यक्ति” ☆ डॉ. सलमा जमाल ☆

डॉ.  सलमा जमाल  (डा. सलमा जमाल जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। रानी दुर्गावती विश्विद्यालय जबलपुर से  एम. ए. (हिन्दी, इतिहास, समाज शास्त्र), बी.एड., पी एच डी (मानद), डी लिट (मानद), एल. एल.बी. की शिक्षा प्राप्त ।  15 वर्षों का शिक्षण कार्य का अनुभव  एवं विगत 25 वर्षों से समाज सेवारत ।आकाशवाणी छतरपुर/जबलपुर एवं दूरदर्शन भोपाल में काव्यांजलि में लगभग प्रतिवर्ष रचनाओं का प्रसारण। कवि सम्मेलनों, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी । विभिन्न पत्र पत्रिकाओं जिनमें भारत सरकार की पत्रिका “पर्यावरण” दिल्ली प्रमुख हैं में रचनाएँ सतत प्रकाशित।अब तक 125 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार/अलंकरण। वर्तमान में अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिंदी सेवा समिति, पाँच संस्थाओं की संरक्षिका एवं विभिन्न संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन। आपके द्वारा रचित अमृत का सागर (गीता-चिन्तन) और बुन्देली हनुमान चालीसा (आल्हा शैली) हमारी साँझा विरासत के प्रतीक है। आप प्रत्येक बुधवार को आपका साप्ताहिक स्तम्भ  ‘सलमा की कलम से’ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी सद्य प्रकाशित पुस्तक “भज-नात” (सर्वधर्मिक) पर आपका आत्मकथ्य – “भावाभिव्यक्ति”।  साप्ताहिक स्तम्भ – सलमा की कलम से # 66  ...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 139 – “सकारात्मकता से संकल्प विजय का”. . .” – सम्पादन – सुश्री मंजु प्रभा ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है सुश्री मंजु प्रभा जी की संपादित पुस्तक  “सकारात्मकता से संकल्प विजय का” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 139 ☆ ☆“सकारात्मकता से संकल्प विजय का”. . .” – सम्पादन - सुश्री मंजु प्रभा ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ पुस्तक चर्चा सकारात्मकता से संकल्प विजय का संपादन मंजु प्रभा दधीची देहदान समिति प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली मूल्य चार सौ रुपये, पृष्ठ १८०, प्रकाशन वर्ष २०२२ चर्चा. . . विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆ स्वास्थ्य...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 138 – “नासै रोग हरे सब पीरा. . .” – पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

  श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है पं अनिल कुमार पाण्डेय जी की पुस्तक  “नासै रोग हरे सब पीरा” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 138 ☆ ☆ “नासै रोग हरे सब पीरा. . .” – पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ पुस्तक चर्चा नासै रोग हरे सब पीरा. . . श्री हनुमान चालीसा की विस्तृत विवेचना लेखक - पं अनिल कुमार पाण्डेय आसरा ज्योतिष केंद्र, साकेत धाम कालोनी, मकरोनिया, सागर मूल्य २५०...
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हिन्दी साहित्य – पुस्तक चर्चा ☆ ‘शुन:शेप’ – श्री वसंत आबाजी डहाके  ☆ भावानुवाद – डॉ प्रेरणा उबाळे ☆

डॉ प्रेरणा उबाळे (सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार वसंत आबाजी डहाके जी के 1996 में प्रकाशित मराठी काव्य संग्रह 'शुन:शेप' का सद्य प्रकाशित एवं लोकार्पित काव्य संग्रह 'शुन:शेप' का हिन्दी भावानुवाद डॉ प्रेरणा उबाळे जी द्वारा किया गया है। इस भावानुवाद को साहित्य जगत में भरपूर स्नेह एवं प्रतिसाद प्राप्त हो रहा है। आज प्रस्तुत है  'शुन:शेप' डॉ प्रेरणा उबाळे जी का आत्मकथ्य।)  ☆ पुस्तक चर्चा ☆ 'शुन:शेप' - श्री वसंत आबाजी डहाके  ☆ भावानुवाद - डॉ प्रेरणा उबाळे ☆ कविता : एक व्यास - 'शुन:शेप' के अनुवाद संदर्भ में - डॉ प्रेरणा उबाळे  विगत पचास वर्षों से मराठी साहित्य जगत संपूर्णत: ‘डहाकेमय’ दिखाई देता है l मराठी कविता, आलोचना, संपादन, आदि साहित्य क्षेत्रों में सहज विचरण करते हुए वसंत आबाजी डहाके जी ने अपना बेजोड़ स्थान बनाया है l जनप्रिय साहित्यकार, भाषाविद, कोशकार, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित वसंत आबाजी डहाके जी की कविताओं का अनुवाद करने का सुअवसर मुझे ‘शुन:शेप’ कविता-संग्रह के माध्यम से मिला। वस्तुत: उनके जन्मदिन पर अर्थात 30 मार्च 2020 को मैंने...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 137 – “उस सफर की धूप छांव” – डा पूजा खरे ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है डा पूजा खरे जी के कथा संग्रह “उस सफर की धूप छांव” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 137 ☆ ☆ “उस सफर की धूप छांव” – डा पूजा खरे ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ पुस्तक चर्चा कृति : उस सफर की धूप छांव लेखिका : डा पूजा खरे प्रकाशक: ज्ञान मुद्रा प्रकाशन, भोपाल मूल्य: १५० रुपये चर्चाकार... विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल ☆ सेरेंडिपीटी अर्थात मूल्यवान संयोगो की...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक की पुस्तक चर्चा # 136 – “मेरी तेरी सबकी” – डा अलका अग्रवाल ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं। आज प्रस्तुत है डा अलका अग्रवाल जी के उपन्यास “मेरी तेरी सबकी” पर पुस्तक चर्चा। ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 136 ☆ ☆ “मेरी तेरी सबकी” – डा अलका अग्रवाल ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ पुस्तक चर्चा कृति : मेरी तेरी सबकी लेखिका : डा अलका अग्रवाल प्रकाशक: ज्ञान मुद्रा प्रकाशन, भोपाल मूल्य: २५० रुपये चर्चाकार... विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल ☆ सार्वजनिक विसंगतियों पर प्रायोगिक प्रहार ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ डा...
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हिन्दी साहित्य – पुस्तक चर्चा ☆ “नासै रोग हरे सब पीरा” का बागेश्वर धाम संत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज द्वारा लोकार्पित” ☆ ज्योतिषी पं. अनिल पाण्डेय ☆

💐 “नासै रोग हरे सब पीरा" का बागेश्वर धाम संत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज द्वारा लोकार्पित” 💐 ज्योतिषी पं. अनिल कुमार पाण्डेय ☆ ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान आसरा ज्योतिष के संस्थापक पं. अनिल कुमार पाण्डेय जी की सद्य प्रकाशित पुस्तक 'नासै रोग हरे सब पीरा' का बागेश्वर धाम संत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज द्वारा दिनांक 28 अप्रैल 2023 को रात्रि 8 बजे सागर मध्य प्रदेश में एक भव्य कार्यक्रम में लोकार्पण हुआ। ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय पं.श्री अनिल पाण्डेय जी ने सर्वाधिक नवीन दृष्टि से विभिन्न ग्रंथो के संदर्भ तथा उद्धरण देते हुये गोस्वामी तुलसी रचित श्री हनुमान चालीसा के शब्द शब्द की समीचीन व्याख्या की है। संयोग से ई-अभिव्यक्ति द्वारा इस पुस्तक को श्रृंखलाबद्ध प्रकाशित किया गया था जिसे प्रबुद्ध पाठकों का भरपूर स्नेह व प्रतिसाद प्राप्त हुआ।   ई-अभिव्यक्ति परिवार द्वारा ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय जी को  'नासै रोग हरे सब पीरा' की सफलता के लिए मंगलकामनाएं 💐 “नासै रोग हरे सब पीरा" पर श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव...
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हिन्दी साहित्य – पुस्तक चर्चा ☆ बाल कथा संग्रह – ‘टीनू का पुस्तकालय‘ – डॉ. नीनासिंह सोलंकी  ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’’ ☆

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” (सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं।आज प्रस्तुत है डॉ. नीनासिंह सोलंकी जी  के बाल कथा संग्रह “टीनू का पुस्तकालय” की पुस्तक समीक्षा।) ☆ बाल कथा संग्रह - ‘टीनू का पुस्तकालय‘ – डॉ. नीनासिंह सोलंकी  ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’’  ☆   कथा-संग्रह  - टीनू का पुस्तकालय उपन्यासकार- डॉ. नीनासिंह सोलंकी  प्रकाशक- संदर्भ प्रकाशन, भोपाल (मप्र) मोबाइल नंबर 94244 69015  पृष्ठ संख्या-72  मूल्य-₹ 200 समीक्षक- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' ☆ समीक्षा- प्रवाह से भरपूर कहानियां ☆ कहानी कहने का सलीका होना चाहिए। तब यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि आप नए कथाकार हो अथवा पुराने। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह बात नवोदित कथाकार नीनासिंह सोलंकी पर फिट बैठती है। टीनू का पुस्तकालय- आपका दूसरा कहानी संग्रह है। इस संग्रह में 12 कहानियां संग्रहित की गई हैं। प्रथम कहानी संग्रह की अपेक्षा दूसरे कहानी संग्रह में गुणात्मक रुप से सुधार हुआ है। भाषा, शैली, कथा, प्रवाह की दृष्टि से कहानी संग्रह बढ़िया बना...
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मराठी साहित्य – पुस्तकांवर बोलू काही ☆ महर्षी वाल्मिकी… श्री विश्वास देशपांडे ☆ परिचय – सुश्री विभावरी कुलकर्णी ☆

सुश्री विभावरी कुलकर्णी पुस्तकावर बोलू काही  ☆ महर्षी वाल्मिकी... श्री विश्वास देशपांडे ☆ परिचय – सुश्री विभावरी कुलकर्णी ☆  निखळ वाचनाचा आनंद घ्या... महर्षी वाल्मिकी.... लेखक : विश्वास देशपांडे.  प्रकाशक : सोहम क्रिएशन अँड पब्लिकेशन, पुणे.  अचानक “महर्षी वाल्मिकी“ हे विश्वास देशपांडे लिखित पुस्तक हातात पडले. एखादे पुस्तक पाहताक्षणीच आवडून जाते आणि मनाची पकड घेते. तसंच या पुस्तकाच्या बाबतीत झाले. आकर्षक मुखपृष्ठ, छोटेखानी पण वेगळेपण नावापासूनच जपणारे, व आत्तापर्यंत माहिती नसलेले आगळे वेगळे पुस्तक. पुस्तकाची रचना अतिशय उत्कृष्ट व उत्सुकता वाढवणारी आहे. सुरुवातीच्या पानावर लेखक परिचय व त्यांची साहित्य संपदा या विषयी माहिती आहे. त्या नंतर पुस्तकाविषयी लेखकांचे मनोगत पुस्तकाची थोडक्यात माहिती देणारे व उत्सुकता वाढवणारे आहे. त्यात भर घालणारी श्री.प्रमोद कुलकर्णी यांची सुंदर प्रस्तावना! मनोगत व प्रस्तावना वाचून कधी ते पुस्तक वाचते आहे असे होऊन गेले. श्री विश्वास विष्णु देशपांडे विशेष म्हणजे दहा लेख असून अनुक्रमणिका नाही. त्यामुळे एकच गोष्ट वाचत आहोत असे वाटते आणि सलग वाचन केल्याशिवाय राहवत नाही. पुस्तक वाचताना त्या घटना डोळ्यासमोर उभ्या राहतात. निसर्ग, ऋषींचा आश्रम, शिष्यगण, नदी, पक्षी, या सर्वांचा आपण एक भाग...
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