ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ युगांत – (हिन्दी भावानुवाद) – डॉ प्रतिभा मुदलियार (मूल मराठी लेखक – डॉ विनोद गायकवाड) ☆ हेमन्त बावनकर ☆
हेमन्त बावनकर
☆ युगांत - (हिन्दी भावानुवाद) - डॉ प्रतिभा मुदलियार (मूल मराठी लेखक - डॉ विनोद गायकवाड) ☆ हेमन्त बावनकर ☆
प्रिय मित्रो,
डॉ विनोद गायकवाड जी के शब्दों में - "महाभारत यानी कभी भी खतम न होनेवाली अक्षय सुवर्ण की खान! कोई भी उसमें से कितना भी सोना निकाल कर ले जाए पर यह खान कभी खतम नहीं होती। महाभारत के दो सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व हैं ‘भीष्म पितामह’ और ‘श्रीकृष्ण’!!"
भीष्म पितामह के जीवन पर आधारित एवं डॉ विनोद गायकवाड़ जी द्वारा रचित 'युगांत'एक अभूतपूर्व उपन्यास है। यह उपन्यास मराठी के अतिरिक्त तमिल में भी प्रकाशित हो चूका है।
डॉ प्रतिभा मुदलियार जी ने 'युगांत' का अत्यंत सजीव हिन्दी भावानुवाद किया। भावानुवाद की भाषा शैली पूर्णतः मौलिक एवं कालखंड के अनुरूप है जो इस उपन्यास को विश्वस्तरीय श्रेणी में अपना स्थान बनाने में पूर्णतः सफल है। आप इस उपन्यास की रोचकता का अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि - जब मैंने इस 460 पृष्ठ के उपन्यास को एक बार पढ़ना प्रारम्भ...