हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ व्यंग्य से सीखें और सिखाएँ # 130 ☆ स्नेह की ताकत ☆ श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ ☆

श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं।  आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं  में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय रचना “स्नेह की ताकत। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन।

आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं # 130 ☆

☆ स्नेह की ताकत ☆ 

वैसे तो हर दिन अपने आप में नया होता है किन्तु एक विशेष दिन का निर्धारण करना ही चाहिए, जो उसकी पहचान बनें। अभी हम लोग कैलेंडर नववर्ष को मना रहे हैं। इस समय अपने संकल्प को फलीभूत करने हेतु बहुत से वायदे करते हैं। जहाँ कुछ लोग समय के साथ चलकर इसे पूर्ण करते हैं तो वहीं अधिकांश लोग इसे केवल डायरी तक ही रख पाते हैं। खैर जितने कदम चलें, चलिए अवश्य क्योंकि आपकी यात्रा व्यर्थ नहीं जाएगी। उचित समय पर परिणाम मिलेगा। इस दौरान लोगों का स्नेह आपको शक्ति व संबल प्रदान करेगा।

प्रकृति में उसी व्यक्ति या वस्तु का अस्तित्व बना रहेगा जो समाज के लिए उपयोगी हो, समय के साथ अनुकूलन व परिवर्तन की कला में सुघड़ता हो। अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि मुझे जो मिलना चाहिए वो नहीं मिला या मुझे लोग पसंद नहीं करते ।एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचने के दौरान आपको विभिन्न जलवायु, खानपान, वेशभूषा के लोगों का सानिध्य रहेगा। सबको समझने के लिए जुड़ाव होना बहुत जरूरी है।

यदि ऐसी परिस्थितियों का सामना आपको भी करना पड़ रहा है तो अभी  भी समय है अपना मूल्यांकन करें, ऐसे कार्यों को सीखें जो समाजोपयोगी हों, निःस्वार्थ भाव से किये गए कार्यों से अवश्य ही एक न एक दिन आप लोगों की दुआओं व दिल में अपनी जगह बना पायेंगे।

©  श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

माँ नर्मदे नगर, म.न. -12, फेज- 1, बिलहरी, जबलपुर ( म. प्र.) 482020

मो. 7024285788, [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈