श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है – “कुछ क्षणिकाएं …“।)
अभी अभी # 683 ⇒ कुछ क्षणिकाएं
श्री प्रदीप शर्मा
लोकतंत्र का मंदिर है ये,
इंसाफ का घर है ।
इज्जत से यहां आओ पेश,
वर्ना अदालत की
मानहानि का डर है..!!
*
इश्क अपनों से करेंगे
गैरों से तो लोहा ही लेंगे,
और वो भी,
जंग लगा हुआ..!!
*
कहां अब कलम दवात !
वो निब वाला होल्डर
चाय की तरह स्याही की
चुस्कियां लेकर काग़ज़
पर उतरते अक्षर !
*
डर का भी अपना
एक लीडर होता है ।
हैरान, परेशान
आवाम को डराते
हमारे लीडरान..!!
*
GRAMMAR:
WHICH
PART OF SPEECH IS
HATE SPEECH ?
© श्री प्रदीप शर्मा
संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर
मो 8319180002
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈