सुश्री प्रतिभा श्रीवास्तव ‘अंश’
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं समाजसेवी सुश्री प्रतिभा श्रीवास्तव ‘अंश’ जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत। कई सामाजिक संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा 2016 से सतत पुरस्कृत/अलंकृत/सम्मानित। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा पाण्डुलिपि पुरस्कार से सम्मानित। काव्य संग्रह “आवरण शब्दों का”, दर्जनों साझा संग्रह और एक सृजन समीक्षा प्रकाशित। साहित्यिक प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका का निर्वहन। नाटक हम नही सुधरेंगे’ और ‘हाँ, नही आती शर्म’ में बेहतरीन अभिनय हेतु सम्मानित। दूरदर्शन व आकाशवाणी पर काव्य प्रस्तुति। गिनीज वर्ल्ड विश्व रिकॉर्ड में “माँ”पर आधारित कविता (कुछ कहना है) चयनित। गृहशोभा – सरिता , मुक्ता, कादम्बिनी, मधुरिमा आदि सैकड़ों पत्रिकाओं व देश-प्रदेश के साथ ही विदेशी समाचार पत्रों में कविता का प्रकाशन। आज प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम भावप्रवण कविता – साझेदार…!)
☆ कविता ☆ साझेदार…! ☆ सुश्री प्रतिभा श्रीवास्तव ‘अंश’ ☆
☆
जो नहीं थे,
मेरे सुख के साझेदार,
जिनके लिए मेरी खुशियों का
कोई मोल ही न था…
जो मेरे होकर भी मेरे ना थे…
उन तमाम लोगों को आज
अपने दुख से बेदखल करती हूँ
कि न आये वो, दुख में मेरा हाथ थामने!
जानना जरूरी होगा, सभी को
कि अकेला पड़ जाना
और अकेले छोड़ देने की
महीन रेखा को,
उससे उठते दर्द की परिभाषा कहीं लिखी नहीं जाती,
पर मैं लिखूंगी, इसकी परिभाषा
अपनी वसीयत में!
जरूरत को पूरा करना
हर बार जरूरी नहीं होता
कभी वक्त वेवक्त प्रेम/परवाह जताना भी अपनेपन की निशानी है….
ये निशानियां अब नजर नहीं आती…
मुझे! तुम में तुम नजर नहीं आते
इसलिए भी मैं, तुम्हें अपने दुख से बेखल करती हूँ।
मुझे कोई रोग कोई पीड़ा
है कि नहीं, नहीं जानती
फिर भी चेहरे का पीला पड़ना
मन खाली होना और दिल का भारी होना
यह सब क्यूँ हो रहा है…?
आँसू आँख में अटके रहते.
कि कभी कोई आयेगा….पोछने
इस इंतजार में मन मकड़ी के जालों की तरह उलझा रहता..
जो नहीं देता मेरे मन पर दस्तक… क्या करूँ मैं?
ऐसे अपनों का…!
जो नहीं बैठा, मुझे अपना समझकर
मेरे साथ, उन सभी को
मैं अपने दुख से बेदखल करती हूँ..
कि मत आना राम नाम सत्य कहने भी,
कि उस समय भी तुम दुख का कारण बनोगे…
तुम दुख में भी, दुख का कारण बनो,
ऐसा मैं हरगिज नहीं चाहती
इसलिए भी
जो नहीं थे मेरे सुख के साझेदार
उन तमाम लोगों को
अपने दुख से बेदखल कर रही हूँ…
☆
© सुश्री प्रतिभा श्रीवास्तव ‘अंश’
संपर्क – 213/ सेक्टर 2, ‘A’ साकेत नगर, भोपाल – 462024 – मो नं.-9977588010
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈