श्रीमति अभिलाषा श्रीवास्तव
गोरखपुर, उत्तरप्रदेश से श्रीमति अभिलाषा श्रीवास्तव जी एक प्रेरणादायक महिला हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्हें 2024 में अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मान से नवाजा गया। उनके द्वारा संवाद टीवी पर फाग प्रसारण प्रस्तुत किया गया और विभिन्न राज्यों के प्रमुख अखबारों व पत्रिकाओं में उनकी कविता, कहानी और आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी लेखनी में समाज के प्रति संवेदनशीलता और सृजनात्मकता का सुंदर संगम देखने को मिलता है।
☆ आलेख ☆ || गोरखपुर दर्शन || ☆ श्रीमति अभिलाषा श्रीवास्तव ☆
घाघरा एवं राप्ती नदी के किनारे नेपाल सीमा के समीप बसा हुआ आधुनिक इतिहास के अनुसार गोरखपुर की शुरुआत 1829 में हुआ। गोरखपुर को इसी नाम का एक डिवीजन घोषित किया गया।
हिंदू प्रसिद्ध संत गोरखनाथजी के नाम पर पड़ा शहर जो योगी मत्स्येन्द्रनाथ जी के शिष्य थे।
इतिहास के अनुसार गोरखपुर एक महत्वपूर्ण मुस्लिम छावनी एवं डिवीजन मुख्यालय हुआ करता था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शहर के आसपास के क्षेत्रों पर अपना अधिकरण किया। कभी मुगल शासक अकबर के अधीन हुआ शहर 1934 में आये भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गया था।
वर्तमान गोरखपुर
कृषि उत्पादन, उद्योग व्यवस्था के साथ साथ कपड़ा निर्माण, छपाई, चीनी मिलों से परिपूर्ण नज़र आता हैं। गोरखपुर परिवाहन केन्द्र अन्य शहर को जोड़ने का प्रमुख कार्य कर रहा है।
नदी के समीप स्थित होने के साथ ही गोरखपुर तटबंध शहर को बाढ़ के खतरे से हमेशा सुरक्षित रखता है।
यहाँ का दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय एवं पुरातत्व संग्रहालय शहर के अस्तित्व में चार चाँद लगाते हैं।
गोरखपुर शहर में आये पर्यटकों के लिए घूमने के लिए विभिन्न स्थान है।
गोरखपुर मंदिर, गीताप्रेस जहाँ गौरव गाथा हैं वहीं दूजी ओर भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के महत्वपूर्ण चौरीचौरा स्मारक एवं इमामबाड़ा की ऐतिहासिक इमारत नज़र आती है।
शहर के बीचों बीच सौन्दर्य में सिमटे रामगढ़ ताल हृदय को प्रफुल्लित करता है वही नक्षतशाला आकर्षण का केन्द्र है। तरकुलहा मंदिर एवं बुढियाँ माँ का मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है।
बुद्ध के मृत्यु का स्थान गोरखपुर के पास होने के वजह से शहर में भीड़ जुटाने में हमेशा संक्षम रहा है।
मगहर- लुम्बिनी बुद्ध से जुड़ा हुआ है वही अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान गोरखपुर की नींव है। यहाँ दूर दराज़ के लोग उपचार हेतु आतें है।
गोरखपुर छावनी के पास कुसम्ही जंगल है जहाँ हरियाली और जीव जन्तुओं की रक्षा हेतु सरकार की बहुत बड़ी परियोजना है वही शहर में चिड़िया घर पर्यटन का केंद्र है।
यहाँ की प्रमुख मिठाइयों में खाजा, बेसन के लड्डू, पेड़े और कलाकंद लोगों को लुभाते नज़र आते हैं।
गोरखपुर आने वाले पर्यटक ज्यादातर नेपाल भी घूमने चले जाते हैं गोरखपुर एयरपोर्ट की सुविधा हमेशा विदेशों से लोगों को जोडकर रखता है।
यहाँ का रेलवे जंक्शन खुद एक उपलब्धि है।
गोरखपुर का मौसम यंत्र जहाँ पूर्व के अनुमान बता देते हैं वही नौकाविहार प्राकृतिक सुंदरता एवं आनंद मुम्बई और गोवा कि याद दिला देते हैं
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© श्रीमति अभिलाषा श्रीवास्तव
गोरखपुर, उत्तरप्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈