श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “झोपड़ी और झुग्गी झोपड़ी।)

?अभी अभी # 299 ⇒ झोपड़ी और झुग्गी झोपड़ी? श्री प्रदीप शर्मा  ?

कलयुग में सतयुग उतर आया था, जब राम और कृष्ण की इस भूमि पर हर झोपड़ी के भाग जाग चुके थे, क्योंकि अयोध्या के प्रभु श्रीराम वहां पधार चुके थे।

आशाओं के दीप जल उठे थे, खूबसूरत सांझ ढल चुकी थी।

जब मन खुशियों से झूम उठता है, तो गरीब की झोपड़ी भी महल नजर आती है और अगर रब रूठे तो महलों में भी वीरानी छा जाती है। हमें पूर्ण विश्वास है कि हर भारतवासी के अच्छे दिन आ चुके हैं और हर झोपड़ी के भाग अब जाग चुके हैं, क्योंकि हमारे मन की अयोध्या में भी प्रभु श्रीराम पधार चुके हैं।।

आजकल महानगरों और स्मार्ट सिटी में कहां झोपड़ी नजर आती है। एक समय था, जब गांवों में भी कच्चे मकान होते थे, छत की जगह पतरे और कवेलू होते थे। अमीरों और रईसों के बड़े मकान होते थे, और गरीब की झोपड़ी हुआ करती थी। वैसे आज भी झोपड़ी अगर गरीबी का प्रतीक है तो महल और आलीशान बंगले अमीरी के। कुटिया तो कभी महात्माओं की हुआ करती थी, जिन्हें भी आजकल आश्रम कहा जाने लगा है।

जब से मेरे देश की धरती सोना उगलने लगी है, बड़े बड़े शहरों में तो किसान की झोपड़ी के भी भाग जाग गए हैं। हर महानगर में जहां भी पॉश कॉलोनी है, उसके आसपास आपको अवेध झुग्गी झोपड़ी भी नज़र आ ही जाएगी जिनमें आपको चौकीदार, मजदूर और कई ऐसे बेरोजगार लोग नजर आ जाएंगे जो काम की तलाश में अपना देश छोड़ शहरों में आ बसे हैं।।

अवैध बस्तियां गरीबों की तकदीर की तरह बनती बिगड़ती रहती हैं। गरीबी यहां से उठाकर वहां धर दी जाती है। कभी जिसे बुल डोजर कहते थे, आज वही जेसीबी कहलाती है। गरीबों की अवैध बस्तियों को वह उजाड़ती भी है और रईसों के नए मकानों की नींव भी वही खोदती है।

अगर झोपड़ी के भाग जगे हैं तो अवश्य झुग्गी झोपड़ी की भी तकदीर जागी होगी। गरीबों को मुफ्त राशन, मुफ्त इलाज और सस्ते मकान क्या किसी रामराज्य से कम है। अब जब अगर हर घर और हर झोपड़ी में प्रभु राम का भी आगमन हो चुका है, तो फिर इस बार किसी को आने से कौन रोक सकता है।।

वैसे भी आजकल गारंटी का जमाना है। जब नेताओं के वादे और आश्वासन, गारंटी की शक्ल ले ले, तो समझ लें रामराज्य आ गया। तैयार रहें इस नए भजन के लिए ;

मेरी झोपडी के भाग आज खुल आयेंगे, … आएंगे।

….. आएंगे, आएंगे, चार सौ सीट लाएंगे..!!

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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