श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “आड़े तिरछे लोग…।)

?अभी अभी # 241 ⇒ एक लोटा जल… ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

सन् १९७१ में के. ए.अब्बास की एक फिल्म आई थी, दो बूंद पानी, जिसमें परवीन सुल्ताना और मीनू पुरुषोत्तम का एक बड़ा प्यारा सा गीत था ;

पीतल की मोरी गागरी,

दिल्ली से है मोल मंगाई !

यहां विरोधाभास देखिए, कहां दो बूंद पानी और कहां पीतल की गागरी, यानी वही ऊंट के मुंह में जीरा।

एक लोटा जल, हमारा आदर्श सनातन माप है, एक लोटे जल में प्यासे की प्यास भी बुझ जाती है, और रसोई के भी कई काम निपट जाते हैं। लाठी में गुण की तो बहुत बात कर गए गिरधर कविराय, लेकिन कभी किसी भले आदमी ने एक लोटा जल के महत्व पर प्रकाश नहीं डाला।।

लोटा और बाल्टी किस घर में नहीं होते। बचपन में सुबह नहाते वक्त ठंडा गरम, जैसा भी जल उपलब्ध हो, जब लोटे से स्नान किया जाता था, तो मुंह से ॐ नमः शिवाय निकल ही जाता था। एक पंथ दो काज, खुद का स्नान और शिव जी का अभिषेक भी। आत्म लिंग शिव तो सर्वत्र व्याप्त और विराजमान है, मुझमें भी और तुझ में भी।

शिव जी ने गंगा को अपनी जटा में स्थान दिया और जटाशंकर कहलाए। नर्मदा नदी का हर कंकर एक शंकर है, जिसका हर पल नर्मदा मैया की लहरों द्वारा अभिषेक होता है। महाकाल उज्जैन में रोज प्रातः भस्म आरती होती है, और तत्पश्चात् शिव जी का अभिषेक होता है। जिसका लाइव दर्शन व्हाट्सएप पर करोड़ों श्रद्धालु नियमित रूप से करते हैं।।

सब एक लोटा जल की महिमा है। सभी मंदिरों में आपको शिवजी और नंदी महाराज भी प्रतिष्ठित मिलेंगे। श्रद्धालु जाते हैं, एक लोटा जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं, और नंदी के कान में भी कुछ कहने से नहीं चूकते।

कर्पूरगौरं करूणावतारं

संसारसारं भुजगेन्द्रहारं।

सदा वसन्तं हृदयारविन्दे

भवं भवानि सहितं नमामि।।

पूजा आरती कहां इस मंत्र के बिना संपन्न होती है।

संत महात्मा जगत के कल्याण का बीड़ा उठाते हैं, कथा, सत्संग, प्रवचन, निरंतर चला ही करते हैं। कुछ लोग सुबह एक लोटा जल सूर्यनारायण को भी नियमित रूप से अर्पित करते हैं। जल ही जीवन है, एक लोटा जल के साथ यह जीवन भी आपको समर्पित है। तेरा तुझको अर्पण। ईश्वर और प्रकृति में कहां भेद है।।

सीहोर के संत ने तो एक लोटा जल की मानो अलख ही जगा दी है। चमत्कार को नमस्कार तो हम करते ही हैं। शिवजी को समर्पित एक लोटा जल का चमत्कार देखिए, उनके प्रवचन में लाखों भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। साधारण सी बात असाधारण तरीके से समझाए वही तो होते हैं, संत ही नहीं राष्ट्रीय संत।

आप इनकी महिमा और करुणा तो देखिए, लाखों भक्तों को मुफ्त में रुद्राक्ष वितरित कर रहे हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ संभाले नहीं संभल रही है। बेचारे शिक्षकों को भी स्वयंसेवक बन अपनी सेवा देनी पड़ रही है।।

आप भी शिव जी को एक लोटा जल तो चढ़ाते ही होगे। उनकी कथाएं शिव पुराण पर ही आधारित होती हैं। संसार में अगर दुख दर्द ना होता, तो कौन ईश्वर और इन संतों की शरण में जाता। भक्ति, विवेक और वैराग्य अगर साथ हो, तो शायद इंसान इतना हर जगह ना भटके। आखिर किसी की शरण में तो जाना ही पड़ेगा इस इंसान को ;

लाख दुखों की एक दवा

सिर्फ एक लोटा जल ….

पहले किसी प्यासे को एक लोटा जल पिलाइए, उसका दुख दर्द मिटाइए, फिर प्रेम से शिवजी को भी जल चढ़ाइए।।

कितने भोले होते हैं ये भोले भंडारी के कथित देवदूत, इतनी यश, कीर्ति और प्रचार के बावजूद बस इतना ही विनम्र भाव से गाते रहते हैं ;

मेरा आपकी कृपा से

सब काम हो रहा है।

करते हो तुम भोले,

मेरा नाम हो रहा है।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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