श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “हाइपर बोल।)  

? अभी अभी # 87 ⇒ हाइपर बोल? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

हिंदी व्याकरण में एक अलंकार है, अतिशयोक्ति अलंकार, जिसे अंग्रेजी में hyperbole (हाइपरबोल) कहते हैं। हमने अंग्रेजी सहित कई भाषाओं को आत्मसात किया है, और उन्हें हमारी बोलचाल की भाषा में ढाल लिया है। अधिक बोलने वाली महिलाओं को अक्सर सर में हेडएक (headache) और अपच के कारण कई पुरुषों को पेट में भी हेडएक होने लगता है।

Ten thousand saw I at a glance. यह मैं नहीं कह रहा, अंग्रेजी कवि विलियम वर्डस्वर्थ कह रहे हैं। जिसे हम अतिशयोक्ति अलंकार कहते हैं, वह अंग्रेजी का figure of speech, hyperbole ही है। ।

मान लिया आप कवि हो, पर दस हज़ार डफोडिल्स एक झलक में, भाई साहब आप भले ही इसे अपनी भाषा में हाइपरबोल कह लें, लेकिन ये बोल ज़रा, जरूरत से ज्यादा ही हाइपर हो गए हैं। जिस तरह आपकी भाषा है, हमारी भी एक भाषा है, संस्कृति है, विचार है।

जब कोई ज्यादा फेंकता है, तो हम भी हाइपर हो जाते हैं।

ऐसे बोल जिससे हमारे सर में हेडएक हो, हमारा टेंपर हाइपर हो, उसे हम हाइपरबोल ही कहते हैं। हमारे हिंदी कवियों ने भी अतिशयोक्ति अलंकार का भरपूर प्रयोग किया और आजकल हमारे राजनेता भी इन्हीं अलंकारों से लदे हुए हैं। अतिशयोक्ति की भी हद होती है। पहले जहां तौलकर बोला जाता था, वहीं आजकल, बिना तराजू से तौले, क्विंटल में फेंका जा रहा है। ।

कितना बढ़िया शब्द चुना है आप लोगों ने अतिशयोक्ति अलंकार के लिए, हाइपरबोल ! हम गांव के सीधे सादे आपस में राम राम से अभिवादन करने वाले, आज कहां से कहां पहुंच गए। इस्स, लाज आती है बताते हुए। किसी ने कहा हरि बोल, तो हमने भी हरि बोल कहा। हनुमान जी के भक्त ने जय बजरंग बली कहा, तो हमने हनुमान जी की भी जय जयकार करी।

हमारे लिए सब भगवान एक हैं, आप चाहे जय श्री कृष्ण कहें अथवा जय श्री राम, हमें तो बस भगवान का नाम लेने से काम।

लेकिन हमारे राजनेता बड़े चतुर निकले। उन्हें जब अपनी भी जय जयकार करवानी हो, रैलियां निकालनी हों, तो वे अपने नाम के साथ भगवान के नाम की भी जय जयकार करवाने लगे। क्या यह अतिशयोक्ति नहीं हुई, इसमें कोई आभूषण नहीं, कोई अलंकार नहीं, हमारे लिए यह बकवास बोल है, जिसके लिए हमने आपका अलंकार hyperbole हाइपर बोल

हाइपरबोल में आज हम thousand से मिलियन और बिलियन तक पहुंच गए हैं। हमारा राजनेताओं का आंकड़ों का गणित आज जहां तक पहुंचा हुआ है, वहां तक कभी आपका कोई पहुंचा हुआ कवि, नहीं पहुंच पाया होगा। हमारी नज़र हजारों से हटकर करोड़ों तक पहुंच गई है।

आपका तो नाम ही कविवर wordsworth था, जिसका हर शब्द कीमती था, words worth, अतः आपसे क्षमा मांगते हुए हमने आपके अलंकार हाइपरबोल पर अपना कॉपीराइट स्थापित कर लिया है। अतिशयोक्तिपूर्ण कथन में कोई हमसे बाजी नहीं मार सकता। बोल बोल, जब भी बोल हाइपरबोल। ।

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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