श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “हनुमान और अनुमान “।)  

? अभी अभी # 37 ⇒ हनुमान और अनुमान ? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

हम जिसे मानते हैं, उसके बारे में अनुमान नहीं लगाते ! मर्यादा राम अयोध्या में पैदा हुए, यह हमारी मान्यता नहीं, केवल विश्वास नहीं, एक शाश्वत, सनातन सत्य है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। रामजी के हृदय में हनुमान जी का वास है, यह स्वयंसिद्ध है, इसलिए उनके जन्म-स्थान के प्रति हम बिल्कुल चिंतित नहीं है। जब कोई बाबर पैदा होगा, तब देखा जाएगा।

हनुमान चालीसा से यह सिद्ध हो गया है कि वे एक जनेऊधारी  थे, जिनने बचपन में सूर्य का, बिना किसी मुआवजे के, अधिग्रहण कर लिया था। हनुमान वानर नहीं, वानर-श्रेश्ठ थे, वे अंजनिसुत पवनपुत्र थे, और ज्ञान-गुण-सागर थे, कोई शक ?

किसी के हृदय में वास करना इतना आसान भी नहीं ! अपनी शक्ति के अहंकार की जब माइक्रो-चिप बनती है, इंसान लघु से लघुतम होता चला जाता है, तब जाकर कोई विशाल-हृदय उसे स्वीकार कर पाता है। प्रभु श्रीराम के हृदय में स्थान पाने के लिए, न केवल हीरे-मोती-रत्न-जड़ित माला को तोड़कर फेंकना पड़ता है, दंभयुक्त  56 इंच सीने को फुलाना नहीं, गलाना पड़ता है, चीरकर दिखाना भी पड़ता है। प्रभु श्रीराम का जन्म कहीं भी हुआ हो, उनके हृदय को ही अपनी जन्म-स्थली मानने वाला, कोई विरला भक्त हनुमान ही हो सकता है।

जाति ना पूछिए साधु की ! संकट मोचक बजरंग बली न केवल वानर-श्रेष्ठ हैं, वे सभी संतों के आदर्श सर्वश्रेष्ठ रामकथा के श्रोता भी हैं। जहाँ भी रामकथा होती है, वे सदा वहाँ मौजूद रहते हैं। क्या आपको किसी चुनावी सभा में कभी हनुमान जी के दर्शन हुए। ।

मनुष्य एक स्वार्थी प्राणी है ! अपने स्वार्थ की खातिर वह कभी एक साधारण इंसान को भगवान का दर्जा दे देता है, तो कभी भगवान को राजनीति में घसीट लाता है। भगवान के नाम पर भीख माँगने और वोट माँगने में कोई खास अंतर नहीं। जिनका आपको आशीर्वाद लेना है, जो जन जन के आराध्य हैं, उन्हें किसी विशेष जाति का मसीहा सिद्ध करना, दिमाग का दिवालियापन नहीं तो और क्या है।

‌प्रभु श्रीराम और रामभक्त हनुमान का आपस में वही संबंध है जो नंदी और त्रिपुरारी शंकर का है। राम, लक्ष्मण जानकी का जब नाम लिया जाता है, तो हनुमान जी की भी जय बोली जाती है। राम दरबार में जो भी सेंध मारने की कोशिश करेगा, उसका हनुमान क्या हश्र करेंगे, अनुमान लगाना मुश्किल  नहीं। ।

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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