श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ 

(साहित्यकार श्रीमति योगिता चौरसिया जी की रचनाएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों/पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में सतत प्रकाशित। कई साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। दोहा संग्रह दोहा कलश प्रकाशित, विविध छंद कलश प्रकाशनाधीन ।राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मंच / संस्थाओं से 200 से अधिक सम्मानों से सम्मानित। साहित्य के साथ ही समाजसेवा में भी सेवारत। हम समय समय पर आपकी रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करते रहेंगे।)  

☆ कविता ☆ प्रेमा के प्रेमिल सृजन… मुक्तक ☆ श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ ☆

(शिखरिणी छंद -मुक्तक)

सदा माधो मेरे सहज हृद संताप हरते ।

विरह देखो रोते मिलन मन आलाप भरते ।

मिलों प्यारे मेरे हृदय अब संज्ञान भर दें ।

नहीं तेरे जैसा मगन मन जी जाप करते ।।

 

पुकारा है आओ किशन, अब तो त्राण कर दे।

बनी मैं अज्ञानी वरद बन कल्याण कर दे ।

सभी भूली हूंँ मैं, प्रभु सहज निर्वाण कर दे ,

दिए गीता में सारात्, विभु जगत निर्माण कर दे ।।

☆ 

© श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’

मंडला, मध्यप्रदेश

(दोहा कलश (जिसमें विविध प्रकार के दोहा व विधान है) के लिए मो 8435157848 पर संपर्क कर सकते हैं ) 

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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