प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे

“बाबासाहब दोहों में” ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆

बाबासाहब श्रेष्ठ थे, किया उच्चतर काम।

जिनके संग हरदम रहें, गौरवमय आयाम।।

संविधान का कर सृजन, दी हमको पहचान।

बाबासाहब दे गए, हमको चोखी शान।।

बाबासाहब ज्ञान थे, रखा हमारा मान।

विधि में हम आगे बढ़े, हुए पूर्ण अरमान।।

संसद के गौरव बने, सामाजिक उजियार।

बाबासाहब ने दिया, मानवता का सार।।

बाबासाहब चेतना, जन-जन के अरमान।

हर जन को आवाज़ दी, किया सकल उत्थान।।

शिक्षा के आलोक से, किया दूर अंधियार।

समरसता का भाव तो, बना मधुर उपहार।।

भीमराव अम्बेडकर, बना गए इतिहास।

ऐसे बंदे ही सदा, हो जाते हैं ख़ास।।

बाबासाहब गीत थे, बने मधुरतम साज़।

करता है हर एक जन, उन पर तो नित नाज़।।

शोषित-पीड़ित पा गए, एक सुखद संसार।

बाबासाहब दिव्य थे, एक अलौकिक प्यार।।

बाबासाहब धन्य हैं, धन्य सभी आचार।

देशभक्ति के भाव से, हर विकार पर मार।।

© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661

(मो.9425484382)

ईमेल – [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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