श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “ढाई आखर हम्म का “।)  

? अभी अभी  ⇒ ढाई आखर हम्म का ? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

हमारे अक्षर ज्ञान में हमने कई ढाई आखर प्रेम से और जबरदस्ती भी सीखे हैं,विद्या,ज्ञान और शिक्षा की दीक्षा हमें ढाई आखर वाले, वर्मा, शर्मा, व्यास और मिश्रा जैसे गुरुओं से ही प्राप्त हुई है,लेकिन ढाई आखर का हम्म हमें आज तक किसी बाल भारती अथवा शब्दकोश में नजर नहीं आया।

दो अक्षर की कथा, तीन अक्षर की कहानी, और ढाई आखर की अंग्रेजी की स्टोरी भी हमने ख़ूब पढ़ी, लेकिन मजाल है कि रानी केतकी की कहानी से लेकर उसकी रोटी तक कहीं भी हमें, हम्म शब्द नजर आया हो । हमारी पूरी जिंदगी भी हम, हमारे और हमारी जैसे शब्दों से ही गुजर गई, लेकिन किसी अंग्रेजी स्टोरी में भी Hmm शब्द नजर नहीं आया ।।

आखिर आज की कथा, कहानियों और ब्लॉग में यह हम्म वाला वायरस कहां से चला आया। चावल में कंकर और रास्ते में स्पीड ब्रेकर की तरह जब किसी वाक्य में हमें हम्म पड़ा नज़र आता है,तो हम उसे उलांघकर नहीं निकल सकते । हम भी मन में एक मंत्र की तरह हम्म, गुनगुना ही लेते हैं, मानो हम्म्म, कोई टोटका हो ।

हमें बार बार बस यही खयाल आता है कि हम्म, इसकी जरूरत क्या है । हमने आज तक अपनी भाषा में इसका प्रयोग क्यों नहीं किया। क्या अवचेतन में, बोलचाल में, गलती से भी, हमारे मुंह से भी, यह ढाई आखर प्रकट हुआ है । तो जवाब यही आता है, हुंह! हम क्या जानें ।।

हमारा गूगल ज्ञान तो यह कहता है कि, हम्म Hmm का मतलब हां, हूं, yes कुछ भी हो सकता है । Hmmm एक ऐसा शब्द है जिसे हम अपने expressions को व्यक्त करने के लिए प्रयोग करते हैं। पहला कवि वियोगी कहलाता है, उसी तर्ज पर कोई तो पहला लेखक होगा, जिसने सबसे पहले पहल इस ढाई अक्षर के हम्म जैसे हथौड़े का प्रयोग किया होगा ।

जहां चाह है वहां राह है, लेकिन हम राह में इतना भी नहीं भटकना चाहते कि अर्थ का अनर्थ ही हो जाए । एक ज्ञान तो यह भी कहता है कि जब इसका प्रयोग HMM की तरह होता है तो आप इसे hug me more भी समझ सकते हैं। हम HMM के इस तरह के दुरुपयोग से पूरी तरह असहमत हैं ।।

हम अपने लेखन और व्यंग्य में ढाई आखर के इस हम्म की प्रयोग की संभावनाओं पर शोध कर रहे हैं । डा.कामिल बुल्के, भोलानाथ तिवारी अथवा डा.हरदेव बाहरी के शब्दकोश तो खैर हमारे मार्गदर्शक हैं ही, वरिष्ठ मनीषी, विद्वान एवं साहित्यविद् भी हमें आशीर्वाद और सहयोग प्रदान करेंगे, ऐसी आशा है । हम्म पे बड़ी जिम्मेदारी, देख रही दुनिया सारी ।।

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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