प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे

☆ गणतंत्रता दिवस विशेष – राष्ट्र-स्तुति के दोहे ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆

शोभित,सुरभित,तेजमय,पावन अरु अभिराम।

राष्ट्र हमारा मान है,लिए उच्च आयाम।।

राष्ट्र-वंदना मैं करूँ,करता हूँ यशगान।

अनुपमेय,उत्कृष्ट है,भारत देश महान।।

नदियाँ,पर्वत,खेत,वन,सागर अरु मैदान।

नैसर्गिक सौंदर्यमय,मेरा हिंदुस्तान।।

लिए एकता अति मधुर,गीता और कुरान।

दीवाली-होली सुखद,एक्यभाव-पहचान।।

सारे जग में शान है,है प्रकीर्ण उजियार।

राष्ट्र हमारा है प्रखर,परे करे अँधियार।।

मातु-पिता,गुरु,नारियाँ,पातीं नित सम्मान।

संस्कार मम् राष्ट्र की,है चोखी पहचान।।

तीन रंग के मान से,हैं हम सब अभिभूत।

राष्ट्रवंदना कर रहे,भारत माँ के पूत।।

राष्ट्रप्रेम अस्तित्व में,आया नवल विहान।

कण-कण करने लग गया,भारत का यशगान।।

रखवाली नित कर रहे,सीमाओं पर लाल।

शौर्य,वीरता देखकर,होते सभी निहाल।।

आज़ादी की वंदना,करता सारा देश।

आओ,हम रच दें यहाँ,वासंती परिवेश।।

© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661

(मो.9425484382)

ईमेल – [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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