श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है आपकी विदेश यात्रा के संस्मरणों पर आधारित एक विचारणीय आलेख – ”न्यू जर्सी से डायरी…”।)

? यात्रा संस्मरण ☆ न्यू जर्सी से डायरी… 20 ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ?

यहां की प्रायः बिल्डिंग्स की बाहरी दीवारों पर अतफर में लटकी सीढियां देख चौंकिए मत । दरअसल यहां भवन की दीवार, फ्लोर प्रमुखता से लकड़ी के बोर्ड से बने होते हैं ।
कालम, बीम, प्रमुखता से स्टील सेक्शन गर्डर, होते हैं । जो नट बोल्ट से कसे हुए होते हैं । यही कारण है की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग के बनने का समय बेहद कम था । समूचा न्यूयार्क मेड आफ स्टील कहा जा सकता है । सौ बरस से पहले बनाए गए “सब वे” जिन पर जमीन से चार पांच मंजिल नीचे तक ट्रेन दौड़ रही हैं , हडसन नदी पर बने ब्रुकलिन ब्रिज सहित पुल , टनल में ओवर सेक्शन स्टील का प्रयोग दिखता है ।

स्टील के साथ लकड़ी ही दूसरा बड़ी मात्रा में प्रयुक्त बिल्डिंग मैटेरियल है। आजकल बन रही बिल्डिंग्स में प्रारंभिक तीन चार मंजिले कंक्रीट की दिखती हैं , उससे ऊपर की मंजिलों में लकड़ी ही प्रयुक्त की जाती है। नीचे की मंजिलों में भी ठंड से बचाव के लिए वुडन फ्लोर होते हैं । इसलिए आग का खतरा ज्यादा होता है। फायर ब्रिगेड का तगड़ा नेटवर्क है ,और सेफ्टी रूल्स बेहद सख्त हैं ।

सभी तरह की इमरजेंसी के लिए नंबर 911 है ।

अग्नि दुर्घटनाओं से बचाव के लिए ही प्रायः भवनों की बाहरी दीवारों पर पहली मंजिल तक अतफर में लोहे की सीढियां फिट की जाती हैं , जिससे किसी दुर्घटना की स्तिथि में लोग आउटर वाल से फटाफट स्केप कर सकें ।

बाहर से सीधे कोई चढ़ एन सके इस सुरक्षा के दृष्टिगत पहली मंजिल से नीचे की लेडर फोल्डेड होती है।

मतलब हमारी फिल्मों के मजनू जी को सेनेटरी पाइप से चढ़कर प्रेमिका के कमरे तक पहुंचने की जरूरत नहीं, बाकायदा सीढी से चढ़ कर पधारा जा सकता है।

विवेक रंजन श्रीवास्तव, न्यूजर्सी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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