श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है आपकी विदेश यात्रा के संस्मरणों पर आधारित एक विचारणीय आलेख – ”न्यू जर्सी से डायरी…”।)

? यात्रा संस्मरण ☆ न्यू जर्सी से डायरी… 19 ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ?

अमेरिकन ज्वाइन टु हेल्प

ठंड बहुत होती है। कुछ को कपड़ो की जरूरत होती है। बदलते फैशन की ग्लैमर से चकाचौंध की इस दुनियां में कइयों के वार्डरोब बिना पहने ही बदल जाते हैं । जींस जैसे कपड़े फाड़े नहीं फटते । फिर इन दिनों तो फटे जींस ज्यादा ही फैशनेबल हैं । हवाई जहाज में सीमित वजन का सामान ही ले जाया जा सकता है। दुबई एयरपोर्ट पर तो बाकायदा बड़े बड़े बाक्सेज लगे हैं, जिनमें आप अपना अतिरिक्त वजन का सामान डाल सकते हैं , लोग पहले खरीद लाते हैं बेहिसाब खजूर, चाकलेट इत्यादि फिर जब गेट पर लगेज का वजन घटाना चाहते हैं तो छोड़ना पड़ता है इन डिब्बों में, दुनियां में भी न कोई कुछ लेकर आता है और न लेकर जा सकता है, सिवाय नेकी के ।

तो नेकी के लिए “अमेरिकन ज्वाइन टु हेल्प” की गाडियां घूमती मिल जाती हैं, वीक एंड पर सोशल वर्कर्स कम्यूनीटी में पहुंच कर क्लाथ कलेक्ट कर सकते हैं, बस उन्हें सूचना दे दी जाए ।

पर हित सरिस धरम नहीं भाई, हिट है।

भारत में भी दीपावली पर सभी घरों की सफाई करते हैं, अनुपयोगी सामान मिट्टी मोल कबाड़ी को बेचने के बनिस्पत किसी जरूरत मंद तक पहुंच जाए इस हेतु कुछ संस्थाएं सक्रिय भी हैं, उदार मन से जुड़ने की भावना विकसित हो यह आवश्यकता है ।

विवेक रंजन श्रीवास्तव, न्यूजर्सी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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