श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है आपकी विदेश यात्रा के संस्मरणों पर आधारित एक विचारणीय आलेख – ”न्यू जर्सी से डायरी…”।)

? यात्रा संस्मरण ☆ न्यू जर्सी से डायरी… 1 ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ?

सुबह घूमते हुए …

अपने प्यारे पेड़ पौधों को आठ दस दिनों के लिए छोड़ कर जाना पड़े तो उनके लिए सिंचाई की व्यवस्था देखने मिली , सुबह घूमते हुए न्यूजर्सी में , जिप वाले पाली ट्री बैग्स पेड़ के तने को पहना दिए गए हैं, उनमें कोई 50 लीटर पानी भरा जा सकता है। व्यवस्था है की बूंद बूंद रिसाव जब तक पानी है अर्थात अगले लगभग 10 दिनों तक पेड़ की सिंचाई होती रहती है।

दक्षिण भारत में घूमते हुए ऐसी ही व्यवस्था देखी थी, जिसमे एक बड़े घड़े में पानी भरकर उसे पेड़ के तने के पास गाड़ दिया गया था, एक छेद करके उस में रुई भर दी गई थी।

नारियल के पेड़ के पास घड़े में नमक डाल दिया गया था, जिससे उसे समुद्र किनारे होने का अहसास हो।

खाद तथा वांछित रसायन भी इस तरह पेड़ो को धीमी गति से दिए जा सकने की प्रणाली बनाई जा सकती है।

विवेक रंजन श्रीवास्तव, न्यूजर्सी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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