॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #17 (66 – 70) ॥ ☆

रघुवंश सर्ग : -17

 

रक्षित पृथ्वी ने दिया राजा को प्रतिदान।

खानों से मणि, वन से गज, खेतों से धन-धान्य।।66।।

 

छहों गुणों औं बलों का कार्तिकेय सा वीर।

कर उपयोग सही सही, बना सका तकदीर।।67।।

 

साम-दाम-दंड-भेद का कर प्रयोग निर्भार।

प्राप्त किये फल तीर्थ के करके पुण्य-प्रसार।।68।।

 

कूट युद्ध विधि जान भी, धर्म युद्ध कर आप्त।

मनचाही नायिका सी की विजय लक्ष्मी प्राप्त।।69।।

 

मद-जल-वाही गज के मद की ज्यों पाकर गंध।

सभी राज भयभीत हो युद्ध कर दिये बंद।।70।।

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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