डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव 

☆ देश तुझे आगे बढ़ना होगा, विश्व गुरु तुझे फिर बनना है ☆

 

देश तुझे आगे बढ़ना होगा,

विश्व गुरु तुझे फिर बनना है ।

 

देश तुझे आगे चलना होगा।

विश्व नेतृत्व तुझे ही करना है।।

देश तुझे —————बनना है।

 

अभी करोडों जन भूखे प्यासे हैं,

सबकी क्षुधा तुझे मिटाना होगा।

अभी करोडों फुटपाथ पर सोते हैं,

सबको आवास दिलाना   होगा।।

देश तुझे —————-बनना है।।

 

अन्नदाता भूखा क्यों मर जाता है,

अन्नदाता के भंडार भरना होगा।

कर्ज तले वो ही क्यों दब जाता है,

कृषकों का बोझ हरना होगा।।

देश तुझे——————-बनना है।

 

तन रोगी दिल रोगी मानस रोगी है,

चिकित्सा सबकी करना  होगा।

अस्पताल छलते डाक्टर ढोंगी हैं,

चिकित्सा  में सुधार लाना होगा ।।

देश तुझे——————-बनना है।

 

विद्यालय भ्रष्ट हैं शिक्षक  भोगी हैं,

उत्तम  शिक्षा सुलभ कराना होगा।

चरित्रहीन हैं पर कहने को योगी हैं,

आश्रमों को भी सुधारना होगा।।

देश तुझे——————-बनना है।

 

सीमा पर रक्षक सेना खूब लड़ी है,

जोश न टूटे उसे संबल देना होगा।

आंतरिक सुरक्षा में पुलिस खडी़ है,

पुलिस कमीशन से सुधारना होगा।

देश तुझे——————बनना है।

 

विज्ञान का पुजारी देश हमारा है,

वैज्ञानिकों को सुविधाएं देना होगा

तकनीकी संवर्द्धन उत्तम सहारा है,

कर्मनिष्ठा हों नीति बनाना होगा।
देश तुझे——————-बनना है।

 

जब मेहनतकश मजदूर हमारा है,

ईमानदार नेता चुनना  हमें होगा।

धर्म उन्माद न बढ़े संदेश हमारा है,

बुद्धिजीवियों मार्ग दिखाना होगा।।

देश तुझे——————बनना है।

© डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव

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Sujata Kale

बहोत ही सुंदर कविता…

Dr. Prem Krishna Srivastav

धन्यवाद सुजाता

Asha

Nice

Dr. Prem Krishna Srivastav

Thanks