श्री संजय भारद्वाज

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ) 

?संजय दृष्टि – रामबाण ??

बावड़ी को जाने वाले रास्ते पर खड़े विशाल पीपल में भूत बसता है। गाँव के लोग दोपहर के समय और शाम के बाद उस तरफ जाते ही नहीं। उसकी डालियाँ तोड़ना तो दूर, पत्तियाँ तक छूना वर्जित था। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक में भय समान रूप से व्याप्त था। पीपल सदा हरा रहा, पत्तियों से सदा भरा रहा।…यह पिछली सदी की बात है।

सदी ने करवट बदली। मनुष्य ने अनुसंधान किया कि पीपल सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देता है। फिर भौतिकता की आंधी चली। पेड़, पौधे, पर्यावरण, परंपरा सब उखड़ने लगे। बावड़ियाँ पाट दी गईं, पीपल काट दिये गए। ऑक्सीजन की हत्या कर साँस लेने का सपना पालनेवाला नया शेखचिल्ली पैदा हो चुका था।..शेखचिल्ली जिस डाली पर बैठता, उसे ही काट देता। शनैः-शनैः न जंगल बचे, न पीपल। शेखचिल्ली की देह भी लगभग मुरझा चली।

एकाएक पता चला कि सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पीपल-वन है। पीपल ही पीपल। सघन पीपल, हरे पीपल, भरे पीपल। अनुसंधानकर्ता ने एक आदिवासी से पूछा- वहाँ ले चलोगे?..आदिवासी ने साफ मना कर दिया। अधिक कुरेदने पर बोला- जाना तो दूर, हम उस तरफ देखते भी नहीं।….क्यों?….वो भूतों की नगरी है। हर पीपल पर कई- कई भूत बसते हैं।..

अनुसंधानकर्ता ने अनुसंधानपत्र में लिखा, ‘रामबाण टोटके कालजयी होते हैं।’

 ©  संजय भारद्वाज

25.12.2021, सुबह 11:35 बजे

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
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माया कटारा

पीपल के वृक्षों को बचाने के लिए भूत-प्रेत का टोटका कारगर ठहरा, धन्य है यह पीपल जो प्राणवायु प्रदाता है, किसी उपाय से उसे बचाना प्राणी -मात्र के लिए अनिवार्य है—-अभिवादन ..

अलका अग्रवालो

रामबाण टोटकों को अपनाकर ही मनुष्य को जीवन दान देने वाले वृक्षों को काटने से बचाया जा सकता है अन्यथा तो मनुष्य जिस डाल पर बैठा है उसी को काटने में लगा है।कारगर उपाय।