सुश्री सुषमा भंडारी

? ये जीवन दुश्वार सखी री ?

(सुश्री सुषमा भंडारी  जी का e-abhivyakti में हार्दिक स्वागत है। आप साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य मंथन की महासचिव एवं प्रणेता साहित्य संस्थान की अध्यक्षा हैं ।आपको यह कविता आपको ना भाए यह कदापि संभव नहीं है।  आपकी विभिन्न विधाओं की रचनाओं का सदैव स्वागत है। )

 

ये जीवन दुश्वार सखी री

मरती बारम्बार सखी री

ये जीवन दुश्वार सखी री

 

जब घन घिर- घिर आये सखी री

पी की याद दिलाये सखी री

मुझमें रहकर भी क्यूं दूरी

ये मुझको न भाये सखी री

 

ये जीवन ——

 

कान्हा हो या राम सखी री

हो जाउँ बदनाम सखी री

उसकी खातिर छोडूं दुनिया

भाये उसका धाम सखी री

 

ये जीवन——-

 

बन्धन माया- मोह है सखी री

झूठी  काया – कोह सखी री

वो प्रीतम मैं उसकी प्रीता

मन अन्तस अति छोह सखी री

 

ये जीवन——-

 

निराकार से प्यार सखी री

वो सब का आधार सखी री

जड़-चेतन सब अंश उसी के

करता वो उद्धार सखी री

 

ये जीवन ——————

 

© सुषमा भंडारी

फ्लैट नम्बर-317, प्लैटिनम हाईटस, सेक्टर-18 बी द्वारका, नई दिल्ली-110078

मोबाइल-9810152263

 

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Dr. Prem Krishna Srivastav

आत्मा से आत्मा का प्यार है रूप उसी चिरन्तन का,
करता है वह इसमें विहास खेल रचा मन बंधन का। व्यष्टि से समष्टि और समष्टि से इष्ट तक की यात्रा का, प्रेमांजलि है उत्कट सत्य पुकार मन के घने क्रंदन का।।

डॉ भावना शुक्ल

अदभुत अभिव्यक्ति ।
प्यार पूजा है प्यार ही समर्पण है ।बिना प्यार के कुछ भी नहीं।

सरिता गुप्ता

बहुत सुंदर कविता

सुरेखा शर्मा पूर्व हिन्दी सलाहकार सदस्या नीति आयोग

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सुषमा जी

सुरेखा शर्मा पूर्व हिन्दी सलाहकार सदस्या नीति आयोग

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सुषमा जी

निसार

अद्भुत रचना बेहद मार्मिक, बधाई सुषमा जी!??