प्रोफेसर नंदलाल पाठक

(क्षितिज प्रकाशन एवं इंफोटेन्मेन्ट द्वारा आयोजित श्री संजय भारद्वाज जी के कवितासंग्रह ‘क्रौंच’ का ऑनलाइन लोकार्पण कल रविवार 31 अक्टूबर 2021, रात्रि 8:30 बजे होगा।  प्रोफेसर नन्दलाल पाठक जी ने क्रौंच पुस्तक की भूमिका लिखी है, जिसे हम अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा कर रहे हैं।)

? क्रौंच कविताएँ अब पाठकों की संपत्ति बन गई हैं, कवि की यही सफलता है✍️ प्रोफेसर नंदलाल पाठक ?

 

मेरे लिए काव्यानंद का अवसर है क्योंकि मेरे सामने संजय भारद्वाज की क्रौंच कविताएँ हैं। संजय जी की ‘संजय दृष्टि’ यहाँ भी दर्शनीय है।

कविता के जन्म से जुड़ा क्रौंच शब्द कितना आकर्षक और महत्वपूर्ण है। प्राचीनता और नवीनता का संगम भारतीय चिंतन में मिलता रहता है।

क्रौंच की कथा करुण रस से जुड़ी है। संजय जी लिखते हैं,

यह संग्रह समर्पित है उन पीड़ाओं को जिन्होंने डसना नहीं छोड़ा, मैंने रचना नहीं छोड़ा।

यह हुई मानव मन की बात।

‘उलटबाँसी’ कविता की अंतिम पंक्तियाँ हैं-

लिखने की प्रक्रिया में पैदा होते गए/ लेखक के आलोचक और प्रशंसक।

बड़ी सहजता से संजय जी ने यह विराट सत्य सामने रख दिया है-

जीवन आशंकाओं के पहरे में / संभावनाओं का सम्मेलन है।

पन्ने पलटते जाइए और आपको ऐसे रत्न मिलते रहेंगे।

मेरे सामने जीवन और जगत है उसे मैं देख रहा हूँ लेकिन ‘संजय दृष्टि’ से देखता हूँ तो लगता है सब कुछ कितना संक्षिप्त है, सब कुछ कितना विराट है।

संजय जी की रचनाओं में सबसे मुखर उनका मौन है।

इन रचनाओं को पढ़ते समय मेरा ध्यान इस बात पर भी गया कि कवि ने छंद, लय, ताल, संगीत आदि का कोई सहारा नहीं लिया। यह इस बात की ओर स्पष्ट संकेत है कि कविता यदि कविता है तो वह बिना बैसाखी के भी अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है। संजय भारद्वाज कवितावादी हैं।

भारत जैसे महान जनतंत्र की हम में से प्रत्येक व्यक्ति इकाई है। जनतंत्र की महानता की भी सीमा है। राजनीतिक प्रदूषण से बचना असंभव है, तभी तो-

कछुए की सक्रियता के विरुद्ध / खरगोश धरने पर बैठे हैं।

क्रौंच कविताएँ अब पाठकों की संपत्ति बन गई हैं, कवि की यही सफलता है।

आवश्यक है कि क्रौंच का का एक अंश आप सब के सामने भी हो-

तीर की नोंक और

क्रौंच की नाभि में

नहीं होती कविता,

चीत्कार और

हाहाकार में भी

नहीं होती कविता,

…………………..

अंतःस्रावी अभिव्यक्ति

होती है कविता..!

मेरी शुभकामनाएँ हैं कि संजय जी ऐसे ही लिखते रहें।

 

प्रोफेसर नंदलाल पाठक

पूर्व कार्याध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी

 

? ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री संजय भारद्वाज जी को उनके नवीन काव्य संग्रह क्रौंच के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ?

 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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Subedarpandey

जितनी भावपूर्ण संजय जी की कविता आलेख संजय दृष्टि के माध्यम से पढ़कर मैंने समझा है क्रौंच कविता संग्रह में दर्द पीड़ा की अभिव्यक्ति उससे भी ज्यादा गहरी होगी ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है कविताये सच में किसी साहित्यिक विधाओं की मोहताज नहीं , कविता तो भावुक हृदय की अनुभूति की अभिव्यक्ति होती है जो पाठक के मन मस्तिष्क तथा हृदय को चीरती हुई उतर जाती है और नंदलाल पाठक जी की समालोचना की संतुलित विधा में प्रस्तुति करण में भी गजब का सम्मोहन संतुलन बनाए रखा है और अंत में रचना का नमूना पेश करना ,उस कृति की समीक्षा… Read more »