श्री जयेश वर्मा

 

(श्री जयेश कुमार वर्मा जी  बैंक ऑफ़ बरोडा (देना बैंक) से वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। हम अपने पाठकों से आपकी सर्वोत्कृष्ट रचनाएँ समय समय पर साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता सैनिक की आत्मा..)

☆ कविता  ☆ सैनिक की आत्मा.. ☆ श्री जयेश वर्मा☆

जाबांजो का जज्बा,

कभी खत्म होता नहीँ है,

ज़िन्दगी जब हारती है मौत से,

सैनिक शरीर,मरता नहीं,है,

असला शस्त्र छोड़ता नहीं है,

डालता नहीं है,

ज़िन्दगी शरीर छोड़ चुकी है,

मौत ले जा चुकी है,

दिमाग अब भी ढूंढता रहता है,

नया जज्बा,लड़ने का तरीका,

जिंदा है दिमाग़ देता है

शरीर को आदेश,मारो मारो मारो,

आंखे बंद हैं सर झुका है,

मग़र राइफल की नली,

दुश्मन की तरफ अब भी तनी है,

निश्चल शरीर सुनता है आदेश

औऱ एक स्वचालित हथियार सी,

उंगली ट्रिगर पर दबती जाती हैं,

गोलियां चलती रहती है,

ज़िन्दगी मौत से हारी ज़रूर है,

शरीर मानता नहीं है,

दिमाग भी सो गया मगर,

हिंदुस्तान का जाबांज़,

शहीद होने के बाद भी लड़ता है,

लड़ता है,क्योकि खून है हिंदुस्तानी,

माँ भारती के बेटों को

हर जन गण की सलामी,

हर जन गण की सलामी।।

 

©  जयेश वर्मा

संपर्क :  94 इंद्रपुरी कॉलोनी, ग्वारीघाट रोड, जबलपुर (मध्यप्रदेश)

वर्तमान में – खराड़ी,  पुणे (महाराष्ट्र)

मो 7746001236

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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