प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा  स्वतन्त्रता दिवस पर विशेष कविता  “हर बलिदानी को शत शत प्रणाम“।  हमारे प्रबुद्ध पाठक गण  प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।

☆ स्वतंग्रता दिवस विशेष – हर बलिदानी को शत शत प्रणाम ☆

जो छोटी सी नौका ले के, भर के मन में साहस अपार 

उठती तूफानी लहरों में, निकले थे करने उदधि पार ।

उनकी ही त्याग तपस्या ने, उनके ऊँचे विश्वासों ने

दिलवाई हमको आजादी, टकरा जुल्मों से बार बार 

ऐसे हर व्रती मनस्वी को हम सबका है शत शत प्रणाम ।।1 ।।

सब ओर घना अँधियारा था, कोई न किरण थी किसी ओर

घनघोर भयानक गर्जन था, पुरखौफ सफर था, दूर छोर ।

फिर भी बढ़ जिनने ललकारा, सागर को रहने सीमा में

उनने ही लाई अथक जूझकर आजादी की सुखद भोर 

ऐसे हर प्रखर तपस्वी को हर भारतवासी का प्रणाम ।।2 ।। 

परवाह न की निज प्राणों की जिनने सुन माता की पुकार

बढ़ अलख जगाने निकल पड़े थे, गाँव शहर हर द्वार द्वार । 

जो भूल सभी सुख जीवन के बैरागी बने जवानी में

हथकड़ी, बेड़ियाँ, फाँसी के फंदे थे जिनको पुष्पहार 

ऐसे हर नर तेजस्वी को भारत के जन – जन का प्रणाम ।।3 ।।

पर दिखता अब उनके सपने सब मिला दिये गये धूलों में 

अधिकांश लोग हैं मस्त आज रंगरलियों में सुख मूलों में । 

यह बहुत जरूरी समझे सब उन अमर शहीदों के मन की 

जिनने हँसते सब दे डाला खुद चढ़ फाँसी के झूलों में ।

ऐसे हर अमर यशस्वी को मेरा मन से शत शत प्रणाम ।।4 ।। 

स्वातंत्र्य  समर सेनानी हर बलिदानी को शत शत प्रणाम 

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर

[email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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