श्री अमरेन्द्र नारायण

(ई-अभिव्यक्ति पर एक अभियान की तरह समय-समय पर  “संदर्भ: एकता शक्ति” के अंतर्गत चुनिंदा रचनाएँ पाठकों से साझा करते रहते हैं। हमारा आग्रह  है कि इस विषय पर अपनी सकारात्मक एवं सार्थक रचनाएँ प्रेषित करें। आज प्रस्तुत है श्री अमरेन्द्र नारायण जी  की एक  भावप्रवण  कविता “नमन”।)

☆  सन्दर्भ: एकता शक्ति ☆ नमन☆

ओ मेघ वायु के संग जरा अश्रु बूंदें लेते जाना

सूखे नयनों के उर अश्रु उनकी समाधि तक पहुंचाना

 

उर में जलती थी देश -प्रेम

और स्वाभिमान की दीपशिखा

बस एक लक्ष्य था आजादी

कोई और स्वप्न था नहीं दिखा

 

अपनी सुख सुविधा छोड़ चले

जो प्राणों की आहुति दे कर

उन अमर शहीदों की समाधि

के पास जरा जा झुक जाना!

 

स्वाधीन गगन,हो मुक्त पवन

अर्पित था वीरों का यौवन

हम उनका त्याग नहीं भूलें

स्मृति को है शत- शत वंदन

 

जाना समाधि पर वीरों के

अश्रु कृतज्ञता ले जाना

और राजगुरु,सुखदेव, भगत

को नमन हमारा पहुंचाना

 

एकता हमारी शक्ति हो

स्वर्णिम हो यह भारत अपना

बलिदानी जो हो गये अमर

पूरा कर दें उनका सपना

 

ओ मेघ,कृतज्ञता के अश्रु

सूखी आंखों में नहीं आते

वे आये हैं अंतस्तल से

जरा जाकर उनको बतलाना!

 

©  श्री अमरेन्द्र नारायण 

शुभा आशर्वाद, १०५५ रिज़ रोड, साउथ सिविल लाइन्स,जबलपुर ४८२००१ मध्य प्रदेश

दूरभाष ९४२५८०७२००,ई मेल amarnar @gmail.com

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Ram Krishan Rastogi

बहुत ही सुंदर रचना
ओ मेघ,मेरी अश्रु धारा उन तक पहुंचा देना
जो प्यासे है बरसो से उनको ये पिला देना।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम 9971006425

अमरेन्द्र नारायण

हार्दिक धन्यवाद रस्तोगी साहब ।