महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.१०॥ ☆

 

यत्र स्त्रीणां प्रियतमभुजोच्च्वासितालिङ्गितानाम

अङ्गग्लानिं सुरतजनितां तन्तुजालावलम्बाः

त्वत्संरोधापगमविशदश चन्द्रपादैर निशीथे

व्यालुम्पन्ति स्फुटजललवस्यन्दिनश चन्द्रकान्ताः॥२.१०॥

 

छरहरी , भरे देह की , पूर्ण यौवन

रदनपंक्ति जिसकी गँसी कुंद कलि सी

पके बिंब फल से  , अधर सुगढ़ जिसके

चकित वनमृगी सी , सरल दृष्टि जिसकी

गहन नाभि , कटि क्षीण , औ” पीन स्तन

नितंबिनि , विनम्रा , अलसगामिनी जो

दिखे युवतियों बीच ऐसी कोई ज्यों

विधाता की मानो प्रथम नारि कृति हो

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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