महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.५४॥ ☆

तस्माद गच्चेर अनुकनखलं शैलराजावतीर्णां

जाह्नोः कन्यां सगरतनयस्वर्गसोपानपङ्क्तिम

गौरीवक्त्रभ्रुकुटिरचनां या विहस्येव फेनैः

शम्भोः केशग्रहणम अकरोद इन्दुलग्नोर्मिहस्ता॥१.५४॥

 

आगे तुम्हें हिमालय से उतरती

कनखल निकट मिलेगी जन्हुकन्या

सगर पुत्र हित स्वर्ग सोपान जो बन

धरा स्वर्ग संयोगिनी स्वयं धन्या

धरे चंद्र की कोर को उर्मिकर से

उमा का भृकुटि भंग उपहास करके

फेनिल तरल , मुक्त मधुहासिनी जो

जहाँ केश से लिप्त शंकर शिखर के

 

शब्दार्थ    ..  कनखल… हरिद्वार के निकट एक स्थान

जन्हुकन्या..गंगा नदी

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments