महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.५१॥ ☆

ताम उत्तीर्य व्रज परिचितभ्रूलताविभ्रमाणां

पक्ष्मोत्क्षेपाद उपरिविलसत्कृष्णशारप्रभाणाम

कुन्दक्षेपानुगमधुकरश्रीमुषाम आत्मबिम्बं

पात्रीकुर्वन दशपुरवधूनेत्रकौतूहलानाम॥१.५१॥

उसे पार कर , रमणियों के नयन में

झूलाते हुये रूप अपना सुहाना

दशपुर निवासिनि चपल श्याम स्वेता

भ्रमर कुंद सी भ्रूलता में दिखाना

शब्दार्थ    ..  भ्रूलता –  भौंह रूपी लता अर्थात भौहो का चपल संचालन

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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