सुश्री सरिता त्रिपाठी

(युवा साहित्यकार सुश्री सरिता त्रिपाठी जी CSIR-CDRI  में एक शोधार्थी के रूप में कार्यरत हैं। विज्ञान में अब तक 23 शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल में सहलेखक के रूप में प्रकाशित हुए हैं। वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत होने के बावजूद आपकी हिंदी साहित्य में विशेष रूचि है । आज प्रस्तुत है  नववर्ष के शुभागमन पर आपकी  अतिसुन्दर कविता “दिसंबर। )

☆ दिसंबर 2020 ☆  

बूढ़ा हो चला दिसम्बर,

बीतने वाला दो हजार बीस,

जवानी छायी सदी तुझको,

आने वाला दो हजार इक्कीस।

 

खुशियाँ भर-भर लाये इक्कीस,

दिलों में छाये सबके इक्कीस,

दूर हो जाये कोरोना सभी से,

भूल जाये अब दो हजार बीस।

 

दौर इक्कीसवीं सदी का,

दिखलाये नये-नये व्यवधान,

लाने वाला क्या है बाकी,

नहीं जाने कोई इन्सान।

 

है इंतजार तेरा जनवरी,

बेसब्री से सभी को,

कितनी जल्दी बीत जाये,

ये दिसम्बर माह अंतिम।

 

© सरिता त्रिपाठी

जानकीपुरम,  लखनऊ, उत्तर प्रदेश

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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डॉ भावना शुक्ल

बेहतरीन अभिव्यक्ति