सुश्री हरप्रीत कौर

(आज प्रस्तुत है  सुश्री हरप्रीत कौर जी  की एक भावप्रवण कविता  “बीता पल ”।)   

☆ कविता  – बीता पल  

कहानी, फसाना ही कहलाते है

पल जो बीत जाते हैं,

 

कुछ पल मन को आह्लादित करते

तो कुछ जख्म पूराने टीस दे जाते है.

 

वो बस बीता कल है, बीता पल है, जानती हूँ भली भाँति

फिर  जाने क्यों उन बीते पल के गलियारों मे जाती हूँ.

यादों को झोली में भर लाती हूँ

 

आज है मेरा, इतना उज्जवल

क्यों मै कल में भटक रही.

 

चिंगारी है ये आज को जलाएगी,

भूल जा दिल, बीते दिन की

यादों को, वादों को,

इनसे हासिल ना कुछ कर पाएगा.

 

बीते पलों को दफन ही रहने दें,

नहीं तो गड़े मुर्दे , जिंदा हो जाएंगे.

जीना मुश्किल कर जाएंगे.

 

©  सुश्री हरप्रीत कौर

कानपुर

ई मेल [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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