श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(वरिष्ठ साहित्यकार एवं अग्रज  श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी  की  सकारात्मक एवं संवेदनशील रचनाएँ  हमें इस भागदौड़ भरे जीवन में संजीवनी प्रदान करती हैं। आपकी पिछली रचना ने हमें आपकी प्रबल इच्छा शक्ति से अवगत कराया।  ई-अभिव्यक्ति परिवार आपके शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना करता है। हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए आपकी नवीन रचना आपके दृढ मनोबल के साथ निश्चित ही एक सकारात्मक सन्देश देती है। )

आपकी नवीन रचना और भावनाएं अक्षरशः प्रस्तुत करना चाहता हूँ – “अस्पताल से आए आज आठवां दिन है। बहुत धीमे सुधार के साथ रुग्णावस्था में बेड पर हूँ। सकारात्मक सोच के साथ इसी मनः स्थिती की एक रचना। कुछ समयोपरांत स्वस्थ तन-मन के साथ ही स्वस्थ रचनाओं के साथ हम सब साथ होंगे।” – सुरेश तन्मय 

☆  तन्मय साहित्य  #  ☆ आँच आये न किसी को.… ☆ 

चलते-चलते ऐसा कुछ, हो जाये मेरे साथ

आँच आये न किसी को,

हँसते – गाते, करते  बातें, गिरे पेड़ से पात

आँच आये न किसी को।।

 

जीवन के अद्भुत, विचित्र इस मेले में

रहे  भटकते  भीड़  भरे  इस  रैले  में

साँझ पड़े जब सुध आयी तो पछताये

शेष बचा  कुछ नहीं, समय के  थैले में,

बीते सुख से रात, ठिकाने से लग जाये

तन-मन की बारात

आँच आये न किसी को।

 

चिंतन में चिंताओं ने है, चित्र उकेरे

स्मृतियों के अब लगने लगे, निरंतर फेरे

बातें भीतर है असंख्य, बाहर हैं ताले

देने लगे तपिश, सावन के शीतल सेरे,

उमड़-घुमड़ कर, सिर पर चढ़ कर

हो जाये बरसात

आँच आये न किसी को।

 

कौन पाहुने, दूजे ग्रह से  आयेंगे

कैसे नेह निमंत्रण हम पहुंचाएंगे

आगत के  स्वागत को, आतुर बैठे हैं

मिलने पर सचमुच क्या गले लगायेंगे,

शंकित मन, कंपित तन कैसे

निभा सकेगा साथ

आँच आये न किसी को।

 

जो  सब के सुख की, चिंताएं करता है

जिसकी सदा दुखों से, रही निडरता है

सूर्य-चंद्र के ग्रहण कभी पड़ जाते भारी

होती कभी स्वयं की, धूमिल प्रखरता है,

रहे निडर मन, करते विचरण

पा जाएं निज घाट

आँच आये न किसी को।

 

बूढ़ा बरगद, व्यथित स्वयं अपने पन से

पुष्प – पल्लवित शाखें हैं, हर्षित मन से

अंतर से आशिष, प्रफुल्लित भाव भरे,

मोह भंग में  स्वयं, विरक्त  हुए  तन से,

लिखते-पढ़ते, खुद से लड़ते

कटे शीघ्र यह बाट

आँच आये न किसी को।

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

14 दिसंबर 2020, 10.49

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश

मो. 9893266014

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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विजय तिवारी " किसलय "

श्रेष्ठ रचना है अग्रज तन्मय जी की।
शीघ्र स्वस्थ होने की कामना सहित।।
– किसलय