श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव

(श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव जी का उनके पिताश्री स्वर्गीय वासुदेव प्रसाद खरे  की स्मृति में विशेष आलेख।)

☆ संस्मरण – वे कहते थे… – स्व वासुदेव प्रसाद खरे ☆

वे कहते थे… लोग तुमसे मदद मांगते हैं क्योकि तुम उस  काबिल हो।

“भगवान ने तुमको  टेबिल के उस पार बैठाया है, तो तुम्हें भगवान का काम करना चाहिये, क्योकि भगवान खुद अपने हाथों से कुछ नहीं करता वह तुम्हें सामने वाले की मदद के लिये माध्यम के रुप में चुनता है.”  मेरे पिता स्व वासुदेव प्रसाद खरे आजाद भारत शासन के समय के डिप्टी कलेक्टर थे. वे कमिश्नर होकर रिटायर हुये. पर जीवन भर वे आम आदमी के मददगार जन सेवक बने रहे.

वे सागर जिले के पंजीकृत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं. उन्हें ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया गया था ।

हम सातो भाई बहनो को संस्कारित परवरिश दी और आज मेरे बड़े भाई अनेक राष्ट्रपति पुरस्कारो से सम्मानित सागर के आई जी श्री के पी खरे तथा हम सभी भाई बहन अपने अपने जीवन साथियो के साथ सात स्तंभों के रूप में सभी उच्च प्रथम श्रेणी पदों पर सेवारत हैं और मम्मी पापा की इस सीख के ध्वज संवाहक हैं. शायद स्वर्गीय पापा मम्मी की इसी सीख को उनके आशीष स्वरूप स्वीकारने के कारण ही हमारी अगली पीढ़ी के सभी बच्चे भी एक से बढ़कर एक वैश्विक प्रतिभा के रूप में संवर रहे हैं और उनमें परस्पर आत्मिक प्रेम ही नही सामने वाले की हर संभव मदद करने का जन्मजात जज्बा देखने मिल रहा है. हम बच्चो में इस स्वउद्भूत संस्कार को  अपने बुजुर्गो का आशीर्वाद मानते हैं.  “महाकाव्य देवयानी” व अन्य अनेक किताबें उनकी स्मृतियां अक्षुण्य बनाये हुये हैं.

©  श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव

ए १, शिला कुंज, नयागांव, जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Shyam Khaparde

शानदार संस्मरण, बधाई