श्री कुमार जितेन्द्र

 

(युवा साहित्यकार श्री कुमार जितेंद्र जी  कवि, लेखक, विश्लेषक एवं वरिष्ठ अध्यापक (गणित) हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक समसामयिक कविता चिंतन करे पर चिंता मजदूर का महापलायन ।  मजदूरों का महापलायन एक विडम्बना है। किन्तु , वैज्ञानिक दृष्टि से पलायन से अधिक वे जहाँ हैं, उन्हें वहीँ सुरक्षित ठहराने की व्यवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण है। )

☆ मजदूर का महापलायन ☆

 

कोरोना के कहर से, टूट गया है मजदूर!

महामारी के महापलायन से, मजबूर है मजदूर!!

 

मच गई है अफरातफरी, सड़कों पर भरपुर!

घर पहुचने की दौड़ में, मजबूर है मजदूर!!

 

सड़क पर लंबी कतारें, चल रहे हैं मजदूर!

बच्चे मां को पूछ रहे हैं, जाना कितना दूर !!

 

कोरोना के कहर से, टूट गया है मजदूर!

महामारी के महापलायन से, मजबूर है मजदूर!!

 

क्या होती है प्यास, पूछिए इन बच्चों से!

क्या होती है भूख, पूछिए इन मजदूरों से!!

 

भूखे प्यासे चल रहे हैं, छाले पड़ गए पैरों में!

इधर भूख,उधर भूख, सबसे बड़ी है घर की भूख !!

 

कोरोना के कहर से, टूट गया है मजदूर!

महामारी के महापलायन से, मजबूर है मजदूर!!

 

सड़के बोली मजदूरों से, हम पहुंचाएंगे घर!!

डिजिटल के युग में, सड़कों पर मजबूर है मजदूर!!

 

मजदूरों की मानवता से, हार जाएंगी महामारी !

कुमार जीत के शब्दों से , जीत जाएंगी मानवता!!

 

कोरोना के कहर से, टूट गया है मजदूर!

महामारी के महापलायन से, मजबूर है मजदूर!!

 

✍?कुमार जितेन्द्र

साईं निवास – मोकलसर, तहसील – सिवाना, जिला – बाड़मेर (राजस्थान)

मोबाइल न. 9784853785

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