योग-साधना LIFESKILLS/जीवन कौशल-15 –SHRI JAGAT SINGH BISHT

Shri Jagat Singh Bisht

(Master Teacher: Happiness & Well-Being, LaughterYoga Master Trainer, Author,Blogger,Educator,Speaker.)

While many people consider sensory experience as the main source of happiness, really it is peace of mind. What destroys peace of mind is anger, hatred, anxiety and fear. Kindness counters this—and through appropriate education we can learn to tackle such emotions.
LifeSkills

Courtesy – Shri Jagat Singh Bisht, LifeSkills, Indore

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योग-साधना/Yoga
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संस्थाएं – “हैल्पिंग हेण्ड्स – फॉरएवर वेल्फेयर सोसायटी” 

“हैल्पिंग हेण्ड्स – फॉरएवर वेल्फेयर सोसायटी” 

Helping Hands – Forever Welfare Society

आज के संवेदनहीन एवं संवादविहीन होते समाज में भी कुछ संवेदनशील व्यक्ति हैं, जिन पर समाज का वह हिस्सा निर्भर है जो स्वयं को असहाय महसूस करता है। ऐसे ही संवेदनशील व्यक्तियों की संवेदनशील अभिव्यक्ति का परिणाम है “हैल्पिंग हेण्ड्स – फॉरएवर वेल्फेयर सोसायटी” जैसी संस्थाओं का गठन। इस संस्था की नींव रखने वाले समाज-सेवा को समर्पित आदरणीय श्री देवेंद्र सिंह अरोरा  (अरोरा फुटवेयर, जबलपुर के संचालक) एक अत्यंत संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी हैं, जो यह स्वीकार करने से स्पष्ट इंकार करते हैं कि- वे इस संस्था की नींव के पत्थर हैं। उनका मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति जो इस संस्था से जुड़ा है वह इस संस्था की नींव का पत्थर है। यह श्री अरोरा जी का बड़प्पन है एवं उनकी यही भावना संस्था के सदस्यों को मजबूती प्रदान करती है। प्रत्येक संस्था में कई अवयव होते हैं किन्तु कोई भी संस्था मात्र एक अवयव पर खड़ी रहती है जिसे हम उस संस्था की रीढ़ कहते हैं। इस संदर्भ में मुझे लगभग 25 वर्ष पूर्व पढ़ी हुई लियो ऐकमेन के अटलांटा संविधान की निम्न पंक्तियाँ याद आती हैं:

Leo Aikman – Atlanta Constitution
The body of every organization is structured from four kinds of bones. There are the wishbones, who spend all the time wishing someone would do the work. Then there are the jawbones, who do all the talking, but little else. The knuckle bones knock everything anybody else tries to do. Fortunately, in every organization there are also the backbones, who get under the load and do most of the work.

(Courtesy :  Free Inspirational Quotes 66-7 http://www.career-success-for-newbies.com/free-inspirational-quotes.html)

इस संदर्भ में मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि-  “हैल्पिंग हेण्ड्स – फॉरएवर वेल्फेयर सोसायटी” एक ऐसी संस्था है जिसके प्रत्येक सदस्य जमीन से जुड़े हैं एवं संस्था की रीढ़ (Backbone) की तरह कार्य कर रहे हैं। यदि एक वाक्य में कहना चाहूँ तो –

एक अनुकरणीय संस्था जो पूर्ण रूप से समाज के उत्थान के प्रति समर्पित है।

श्री अरोरा जी ने लगभग 20 सदस्यों को प्रोत्साहित करते हुए इस संस्था की नींव 1 जून 2015 को रखी। आधिकारिक तौर पर इस संस्था को 22 सितंबर 2015 को लगभग 50-60 सदस्यों के सहयोग से मूर्त रूप दिया।। आज इस संस्था से लगभग 270 सदस्य जुड़े हुए हैं जो कि प्रत्यक्ष अथवा अप्रयक्ष रूप से आर्थिक, मानसिक अथवा शारीरिक रूप से संस्था को सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

मैं अचंभित हूँ संस्था द्वारा सोशल साइट्स जैसे फेसबुक एवं व्हाट्सएप के सकारात्मक प्रयोग को देखते हुए। कहीं किसी का भी एस.ओ.एस. कॉल / मेसेज आता है और कुछ ही समय में उस समस्या का स्वैच्छिक समाधान भी हो जाता है।

जब श्री अरोरा जी से इस संस्था की जीवन यात्रा के बारे में जानना चाहा तो उन्होने अत्यंत सादगी से जो उल्लिखित किया वह प्रस्तुत है उन्हीं के शब्दों में –

 

हैल्पिंग हैंड्स

एक अनंत अनवरत यात्रा

हैल्पिंग हैंड्स की स्थापना के पूर्व आम भारतीय की तरह हम सभी की भी यही मान्यता थी कि भारत में जन्मे हर इंसान की सभी तरह कि बुनियादी आवश्यक्ताओं की ज़िम्मेदारी सरकारों की ही होती है। किन्तु, फिर कुछ ऐसी बातें हुई कि जिसने हैल्पिंग हैंड्स की कल्पना को मूर्त रूप में लाने के लिए प्रेरित किया।

मेरे निवास स्थान हरी सिंह कॉलोनी जबलपुर के पास एक कन्या शाला स्थित है। इस शाला की छात्रा की फीस माफ कराने हेतु किसी पालक का आवेदन प्राप्त हुआ। इस संदर्भ में प्रिंसिपल से मिलने गया तो उन्होने कहा कि हम तो इस बच्चे की फीस माफ कर देते हैं, परंतु ऐसे सैकड़ों बच्चे हैं, जो फीस या धन के अभाव में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते उनका क्या होगा?

ऐसे बच्चों का क्या होगा? यह प्रश्न बार-बार मेरे हृदय को कचोट रहा था।

इसी दौरान एक दूसरा वाकया हुआ।

हमारी कॉलोनी के हम चार मित्र सुबह के समय चाय पी रहे थे तभी पास बैठे एक बुजुर्ग भिक्षुक को मिर्गी के दौरे आने लगे। जैसे-तैसे यह व्यक्ति सामान्य हुआ तो हमने उससे पूछा कि आपको मिर्गी के दौरे आते हैं तो आप दवाई पास क्यों नहीं रखते। उसने कहा साहब पिछले तीन दिन से एक बार खाना खाया है तो दवा के पैसे कहाँ से लाऊँ?

बस यही शब्द हमारे दिमाग में गूंजने लगे –

  • उन बच्चों का क्या होगा?
  • दवा के पैसे कहाँ से आएंगे?

बस इन दो प्रश्नों ने हमें अपना सामाजिक दायित्व का बोध कराया तथा हमने अपने अन्य मित्रों के साथ संस्था को  प्रारम्भ करने का प्रयास प्रारम्भ किया। संस्था ने अपने कार्यक्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को अपनी प्राथमिकता में रखा।

संस्था ने अपने कार्य को प्रारम्भ करने के पहले ऐसी प्रक्रिया सुनिश्चित की जिससे संस्था के द्वारा की जाने वाली मदद पूर्णतया पारदर्शी तरीके से वास्तव में जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे। साथ ही संस्था द्वारा जरूरतमन्द व्यक्ति द्वारा चाहिए गई मदद को नगद के रूप में न देकर चाही गई सामाग्री, फीस या दवा के रूप में दी जाती है।

संस्था का मानना है कि स्वस्थ शरीर से स्वस्थ समाज, शहर तथा देश का निर्माण संभव है। साथ ही शिक्षित व्यक्ति अपने परिवार के साथ राष्ट्र निर्माण में भी अपनी भागीदारी कर सकता है। अतः संस्था द्वारा जरूरतमन्द निर्धन विद्यार्थियों को पुस्तकें, स्टेशनरी, फीस, स्कालरशिप के साथ-साथ फ्री कोचिंग का भी प्रावधान रखा गया है। कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन देने क उद्येश्य से कन्या शालाओं से संपर्क किया गया साथ ही संस्था द्वारा पूर्णतया निःशुल्क मेडिकल उपकरण बैंक का गठन किया गया जिसमें व्हीलचेयर, एयर बेड, मेडिकल बेड, वॉटर बेड, वाकर, सक्शन मशीन आदि उपकरण जरूरतमंदों को सीमित समय के उपयोग हेतु निःशुल्क दिये जाते हैं।

हैल्पिंग हैंड्स द्वारा अपनी स्थापना के तीन वर्षों में लगभग 270 सदस्यों के विश्वास के फलस्वरूप शिक्षा, स्वास्थ्य, दिव्याङ्गता तथा अन्य क्षेत्रों हेतु 10 अनवरत क्रियाशील प्रोजेक्ट चलाये जा रहे हैं।

संस्था का यह प्रयास है कि जरूरतमन्द/निर्धन विद्यार्थियों हेतु शिक्षा संबंधी हर आवश्यकता तथा कोचिंग इत्यादि से उनका उत्कृष्ट परिणाम लाने में सहायक सिद्ध हो ताकि ये विद्यार्थी स्वावलंबी बनकर अपने परिवार का भरण पोषण करें तथा अच्छे नागरिक होने का कर्तव्य पूरा करें।

इस संस्था के सदस्यों के निःस्वार्थ समर्पण की भावना को देखते हुए हमें यह संदेश प्रचारित करना चाहिए कि व्यर्थ खर्चों पर नियंत्रण कर भिक्षावृत्ति को  हतोत्साहित करते हुए ऐसी संस्था को तन-मन-धन से  सहयोग करना चाहिए जो ‘अर्थ ‘की अपेक्षा समाज को विभिन्न रूप से सेवाएँ प्रदान कर रही है 

मैं आप सबकी ओर से श्री अरोरा जी एवं  संस्था के सभी सदस्यों का हृदय से सम्मान करता हूँ जो अपने परिवार  एवं  व्यापार/रोजगार/शिक्षा (छात्र  सदस्य)  आदि दायित्वों  के साथ मानव धर्म को निभाते हुए  समाज  के असहाय सदस्यों की सहायता करने हेतु तत्पर हैं।  

मैं ऐसी अन्य सामाजिक एवं हितार्थ संस्थाओं की जानकारी अभिव्यक्त करने हेतु कटिबद्ध हूँ।  यदि आपके पास ऐसी किसी संस्था की जानकारी हो तो उसे शेयर करने में मुझे अत्यंत प्रसन्नता होगी।

(अधिक जानकारी  एवं हैल्पिंग  से जुडने के लिए आप श्री देवेंद्र सिंह अरोरा जी से मोबाइल 9827007231 पर अथवा फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Helping-Hands-FWS-Jabalpur-216595285348516/?ref=br_tf पर विजिट कर सकते हैं।)

#e-abhivyakti

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