श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “वक़्त रुख़सत का आ रहा नजदीक…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ ग़ज़ल # 106 ☆
वक़्त रुख़सत का आ रहा नजदीक… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
☆
आदमी है या है बला तौबा
कर रहा दोस्त बन दग़ा तौबा
*
इश्क़ से मैंने कर लिया तौबा
मुस्तक़िल पर न रह सका तौबा
*
मयकशी की न याद फिर आई
मदभरी आँख का नशा तौबा
*
शूल भी फूल भी हैं राहों में
शूल मुझको ही क्यों चुभा तौबा
*
साँस लेना भी आज दूभर है
ये प्रदूषण भरी हवा तौबा
*
ज़िस्म का लम्स क्या हुआ तेरे
धड़कनों में उछाल सा तौबा
*
दोस्त अग़यार सा मिला मुझसे
ये तग़ाफ़ुल नहीं क़ज़ा तौबा
*
मैक़दे की बना वो रौनक है
मय से जिसकी है बा-रहा तौबा
*
वक़्त रुख़सत का आ रहा नजदीक
कर गुनाहों से बा ख़ुदा तौबा
*
अय अरुण इस डगर पे मत जाना
प्यार जिसने किया किया तौबा
☆
© श्री अरुण कुमार दुबे
सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश
सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈