सुश्री सरिता त्रिपाठी  

( युवा साहित्यकार सुश्री सरिता त्रिपाठी जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आप  CSIR-CDRI  में एक शोधार्थी के रूप में कार्यरत हैं। विज्ञान में अब तक 23 शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल में सहलेखक के रूप में प्रकाशित हुए हैं। वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत होने के बावजूद आपकी हिंदी साहित्य में विशेष रूचि है । आज प्रस्तुत है आपकी  भावप्रवण कविता “पूर्णिमा का चाँद”। )

आज जन्मदिवस के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं !

☆ पूर्णिमा का चाँद ☆  

 

निकले जो रात को टहलने

चाँदनी का वो दीदार हुआ

निकला तो था वो आज पूरा

पूर्णिमा का चाँद जो था

 

रोशनी की तमन्ना में नयन

टकटकी जो लगाए बैठे थे

देखने को वो चाँद पूरा

फुर्सत से आ बैठे थे

 

देखते देखते घिर गया था वो

बादलों के उस चादर से

अपने मोबाइल में हमने भी

उसे कैद कर लिये थे

 

सिमट रहा था वो अब

बादलों के आगोश में

उसकी इस बेबसी पे

हम बेचैन हो रहे थे

 

© सरिता त्रिपाठी

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

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Shyam Khaparde

अच्छी रचना

SARITA TRIPATHI

आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Rajnish Kumar

Super mam, very nice Kavita

SARITA TRIPATHI

thank you so much