डॉ राकेश ‘चक्र

(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी  की अब तक कुल 148 मौलिक  कृतियाँ प्रकाशित। प्रमुख  मौलिक कृतियाँ 132 (बाल साहित्य व प्रौढ़ साहित्य) तथा लगभग तीन दर्जन साझा – संग्रह प्रकाशित। कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन। जिनमें 7 दर्जन के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों  से  सम्मानित/अलंकृत। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य श्री सम्मान’ और उत्तर प्रदेश सरकार के हिंदी संस्थान द्वारा बाल साहित्य की दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती’ सम्मान, अमृत लाल नागर सम्मानबाबू श्याम सुंदर दास सम्मान तथा उत्तर प्रदेश राज्यकर्मचारी संस्थान  के सर्वोच्च सम्मान सुमित्रानंदन पंतउत्तर प्रदेश रत्न सम्मान सहित पाँच दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं गैर साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित एवं पुरुस्कृत। 

 आदरणीय डॉ राकेश चक्र जी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 संक्षिप्त परिचय – डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी।

आप  “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से  उनका साहित्य प्रत्येक गुरुवार को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 221 ☆ 

गीत – बहुत दिखावा, जग है छइयाँ ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ 

बहुत दिखावा, जग है छइयाँ

माया रे संसार।

मुँह देखी में सिमट गया रे

सारा ममता प्यार।

 *

जीते जी ये करें ईर्ष्या

कपट, घृणा की छानी रे।

आँखों में भी सूख रहा अब

मम भावों का पानी रे।

 *

अदले का बदला है सारा

कहाँ ममत्व का सार।

बहुत दिखावा, जग है छइयाँ

माया रे संसार।

 *

कोठी, कनका, कार ही सब कुछ

रिश्तों की वह डोर कहाँ।

भाव प्रेम का कहाँ वो आँचल

बढ़ता ही अब शोर रहा।

 *

बढ़े आदमी हुए सभी अब

टूट रहे हैं तार।

बहुत दिखावा, जग है छइयाँ

माया रे संसार।

 *

भाग रहा जग चाहत मैं ही

अपने से भी दूर रहा।

दीपक बाती कब बन पाया

उड़ता हुआ कपूर रहा।

 *

छोटी-छोटी बात अहमवश

बढ़ीं बहुत तकरार।

बहुत दिखावा, जग है छइयाँ

माया रे संसार।

 *

चिंतन, मनन शास्त्र हैं कहते

जीवन नीर बुलबुला रे।

मीठे बोल सत्य ही कर्मा

ठाठ अहम का जलवा रे।

 *

अंतिम सत्य भाव रे श्रद्धा

बाँट सदा ही प्यार।

बहुत दिखावा, जग है छइयाँ

माया रे संसार।

© डॉ राकेश चक्र

(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)

90 बी, शिवपुरी, मुरादाबाद 244001 उ.प्र.  मो.  9456201857

Rakeshchakra00@gmail.com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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