आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है  – मुक्तिका)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 236 ☆

☆ दर्शन दे उजियारो ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

☆ 

वल्कल-पर्ण वसन धारो माँ!

सुमन सुमन से सिंगारो माँ!

सफल सुफल फल भोग लगाओ-

कंद-मूल ले उपकारो माँ!

ले मकरंद मधुप आए हैं

ग्रहण करो उद्धारो

शारद! शत वंदन स्वीकारो…

.

अली-कली जस गाते माता!

रवि-शशि दीप जलाते माता!

तितली नर्तित करें अर्चना-

जुगनू जगमग भाते माता!

तारक गण आरती उतारें

दे वरदान निहारो

शारद! शत वंदन स्वीकारो…

.

कमल वदन मृगनैनी मैया!

दिव्य छटा पिकबैनी मैया!

करतल हैं गुलाब से कोमल-

भव्य नव्य शुचि सैनी मैया!

चरण चमेली हरसिंगारी

चंदन भाल सँवारो

शारद! शत वंदन स्वीकारो

.

बेला वेणी सोहे जननी!

बाला महुआ मोहे जननी!

सूर्यमुखी माथे की बिंदी-

गुड़हल करधन बाँधे जननी!

कर भुजबंध पलाशी कलियाँ

चंपा बाला धारो

शारद! शत वंदन स्वीकारो

.

माया मोह वासना घेरे

क्रोध लोभ लेते पग फेरे

काम न आते रिश्ते-नाते

लूटें, आँख तरेरे

अँगुरी थामो मातु दुलारो

शारद! शत वंदन स्वीकारो

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२३.५.२०२५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments