श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण “सजल – दुश्मन शांति का बना…। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 175 – सजल – दुश्मन शांति का बना… ☆

(दोहाश्रित सजल)

(समांत-आन, अपदांत, मात्रा भार 24, यति 13/11)

आतंकी को पालता, सनकी पाकिस्तान।

रावण का वंशज बना, गुमी दीन-पहचान।।

 *

दुश्मन शांति का बना, जग में है बदनाम।

निर्दोषों को मारता, पैशाचिक मुस्कान।।

 *

कट्टरता की कोख से, जिन्ना का अवतार।

मानवता पर चोट कर, नित करता अभिमान।।

 *

गधे भरे हैं पाक में, बस मुल्ला की सोच।

लिए कटोरा माँगता, यही शेष अभियान।।

 *

सहने का साहस गया, भारत में भूचाल।

पहलगाम के घाव से, आहत है इंसान।।

 *

नदियों का जल रोक कर,दिया बड़ा संदेश।

मोदी का यह फैसला, आफत में है जान।।

भारत का अब प्रण यही, छोड़ पड़ोसी धर्म।

लातों के इस भूत का, होगा पूर्ण निदान।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

6/5/25

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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